पीलीभीत। बरेली हरिद्वार नेशनल हाईवे का जहानाबाद बाईपास, करोड़ों की लागत से 2023 में पूरा हुआ और 20 जुलाई को जनता के लिए खोला गया। लेकिन पहली ही बारिश में पुल और सड़क के बीच का हिस्सा धंस गया। यह हादसा बताता है कि सड़क बनी थी जनता के पैसों से, मगर उसकी गुणवत्ता गारंटी से नहीं, भ्रष्टाचार से जोड़ी गई थी।धंसाव इतना खतरनाक था कि आवागमन ठप होने के साथ दुर्घटना का बड़ा खतरा मंडरा रहा था। जानकारी मिलते ही किसान नेता देव स्वरूप पटेल मौके पर पहुंचे। उन्होंने नेशनल हाईवे के अधिकारियों और निर्माण फर्म को घेरा। दबाव बना तो आनन-फानन में मरम्मत शुरू हुई और शाम तक कामचलाऊ पैबंद लगाकर यातायात बहाल कर दिया गया। जांच में पाया गया कि पुल पर बारिश के पानी की निकासी की कोई पुख्ता व्यवस्था ही नहीं की गई थी। पानी जमा होकर अप्रोच रोड को कमजोर करता रहा और आखिरकार वह धंस गया। यानी करोड़ों खर्च हुए, लेकिन सबसे बुनियादी इंतजाम जल निकासी ही भूल गए। यह भूल नहीं, बल्कि लापरवाही और भ्रष्टाचार की साजिश है।
नेताओं और अफसरों पर सवाल-सवाल यह भी है कि जब खुद केंद्रीय मंत्री एवं सांसद जितिन प्रसाद पहले ही सुरक्षित यातायात और गुणवत्तापूर्ण निर्माण पर जोर दे चुके थे, तो अधिकारियों ने निगरानी क्यों नहीं की? आखिर किसकी मिलीभगत से ठेकेदारों को खुली छूट मिली कि वे जनता की जान से खिलवाड़ करें?तिखी हकीकत यही है कि बरसात ने फिर एक बार विकास कार्यों की पोल खोल दी है। जनता का पैसा बहा और उनकी जान खतरे में डली। यह केवल सड़क नहीं धंसी यह सिस्टम का ईमान धंसा है।अब सबसे बड़ा सवाल है क्या जिम्मेदारों पर कार्रवाई होगी, या फिर बरसात के साथ-साथ सड़कें और भ्रष्टाचार दोनों बहते रहेंगे?।