प्रतापगढ़। जिले में जिलाधिकारीध्अध्यक्ष जिला आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण द्वारा जनपद में डूबने के कारण होने वाली घटनाओं को न्यूनीकृत किये जाने हेतु दिये गये निर्देश के क्रम में अपर जिलाधिकारी (वि0/रा0) आदित्य प्रजापति ने डूबने के कारण होने वाली घटनाओं में मुख्य रूप से बच्चों, दिव्यांग व्यक्तियों, महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों एवं गम्भीर रोग से ग्रसीत व्यक्तियों को नदी, तालाब, पोखरो, कुओं, जलाशयों से पास न जाते हुये उचित दूरी बनाते हुये डूबने की घटनाओं को न्यूनीकृत करने के दृष्टिगत राहत एवं बचाव के सम्बन्ध में क्या करें, क्या न करें की एडवाइजरी जारी कर दी है। उन्होने बताया है कि जनपद के विभिन्न क्षेत्रो में नदी, नहर, कुआं, तालाब, गहरे गड्ढे, झील, पोखर, बोरबेल, जल प्रपात, आदि जलाशयों में स्नान करने, जानवर नहलाने या कपड़े धोने जैसे रोजमर्रे के काम के दौरान विभिन्न कारणों से अनजाने में बच्चों, किशोर-किशोरियों तथा वयस्क व्यक्तियों की डूबने से मृत्यु होती रहती है। सावधानी, सतर्कता एवं जागरूकता के द्वारा इस अमूल्य जीवन को नष्ट होने से बचाया जा सकता है।
उन्होने डूबने की घटनाओं को न्यूनीकृत करने के दृष्टिगत राहत एवं बचाव के सम्बन्ध में क्या करें के सम्बन्ध में बताया है कि तेज धार या उफनायी हुयी नदी, नहर, नाले, तालाब आदि में स्वयं एवं अपने स्वजनों को जाने से रोके। बच्चों को पुल, पुलिया, ऊॅचे टीलों से पानी में कूद कर स्नान करने से रोके, नदी या जल निकाय के किनारों पर जाना और स्नान करना, यदि अति आवश्यक हो तो पानी में उतरते समय गहराई का ध्यान रखें। यदि उस स्थान या घाट के आस-पास कोई सलाह या दिशा निर्देश लिखें हो तो उनका पालन करें। भली प्रकार तैरना जानते हो तभी पानी में उतरेंध्स्नान करें, अन्यथा स्थानीय प्रशासन द्वारा बताये गये स्नान करने के चिन्हित घाटों पर ही स्नान करें। एक साथ परिवार के कई लोग नदी या अन्य घाटों पर स्नान न करें। बच्चों को यदि स्नान करना हो तो बड़ों की कुशल देखरेख में ही स्नान करनें दे। कोशिश करें किसी नदी या जल निकाय में सामूहिक रूप से स्नान करने जाते समय साथ में 10-15 मीटर लम्बी रस्सी या धोतीध्साड़ी अवश्य रखें।
इसी प्रकार क्या न करें के सम्बन्ध में बताया है कि नदियों, नहरों, जलाशयों या अन्य जल निकायों के पास लिखी हुई चेतावनी की अवहेलना न करें। छोटे बच्चों को घाटो, जल निकायों के समीप न जाने दें। एकदम से अनजान या सुनसान नदियों, नहरों, तालाबों के घाटों पर स्नान करने न जायें। किसी के उकसावेध्बहकावें में आकर पानी में छलांग न लगाये। नदियों, नहरों या अन्य जल निकायों के घाटों परध्किनारे पर पारंपरिकध्धार्मिकध्सामाजिक रीति-रिवाजोंध्अनुष्ठानध्संस्कारों का निर्वहन करते समय किसी भी तरह की असावधानी न बरतें। नदी, नहर या अन्य जल निकायों में कोई तैरती वस्तु या अन्य आकर्षक फूल इत्यादि के लालच में पड़कर उसे छूनेध्पकड़नेध्तोड़ने न जायें ऐसा करना जानलेवा हो सकता है। तैरना सीखने के लिये अकेले पानी में न जायें, किसी कुशल प्रशिक्षक या तैराक की देखरेख में ही तैराकी सीखें। तैरते या पानी में स्नान करते समय स्टंट न करें या सेल्फी आदि न लें, ऐसा करना जानलेवा हो सकता है।
उन्होने पानी में डूबते हुये व्यक्ति को बचाने हेतु क्या करें व क्या न करें के सम्बन्ध में बताया है कि अगर आप भली प्रकार तैरना जानते हो और साथ ही साथ डूबते को पानी से बाहर लाने की कला जानते हो तब ही आप किसी को बचाने के लिये पानी में जाइये, अन्यथा आप के जीवन को भी खतरा हो सकता है। यदि आप के निकट पानी में कोई डूबे रहा है तो आप उसे बचाने के लिये पानी के बाहर से जो भी उपलब्ध साधन जैसे बांस का टुकड़ा, रस्सी, कोई लंबा कपड़ा जैसे साड़ी, धोती बाहर से फेंक कर डूबते हुये व्यक्ति को पकड़ने को कहें और उसे धीरे-धीरे बाहर खींच कर लायें। किसी को डूबता देखकर मदद के लिये शोर मचायें जिससे आस-पास के सक्षम लोग मदद कर सके। डूबे हुये या डूबते हुये व्यक्ति को पानी से बाहर निकालने पर देखें कि वह व्यक्ति होश में है या नहीं। होश में रहने पर उससे सामान्य तरह से बात कर ढाढस बधाएँ, उसके नाक, मुह को देखें कि कुछ फंसा तो नहीं है यदि है तो उसे निकालें और स्वच्छ पानी से साफ करें। प्रभावित व्यक्ति खॉसनेध्बोलनेध्सांस ले सकने की स्थिति में है तो उसे ऐसा करने के लिये प्रोत्साहित करें। यदि प्रभावित व्यक्ति का पेट फूला हुआ है तो पूरी सम्भावना है कि उसने पानी पी लिया होगा। अतः पेट से पानी निकालने के लिये अगर कोई स्वयं सेवक प्रशिक्षित है तो उसकी मदद लें अन्यथा नजदीकी चिकित्सक को बुलायें या सुविधानुसार चिकित्सालय ले जायें। प्रभावित व्यक्ति को अविलम्ब नजदीकी चिकित्सालय ले जायें। चिकित्सालय ले जाने के लिये जो भी साधन मौके पर उपलब्ध हो उसका प्रयोग करें अन्यथा 102ध्108 पर फोन कर एम्बुलेन्स बुला लें। स्नान करने के घाटों पर सुरक्षा उपकरण जैसे-लंबी व मजबूत रस्सी, बांस के लम्बे टुकड़े, हवा भरे गाड़ियों के ट्यूब, लाइफबाय आदि सामग्रियों को रखें जो आकस्मिक समय पर काम आयेंगी।
उन्होने बताया है कि डूबने से होने वाली मौतों के प्रमुख कारण खतरों की उपेक्षा या खतरों को कमतर आंकना, खतरों के बारे में गलतफहमी अर्थात गलत जानकारी, सही व सटीक जानकारियों के बिना नहर में जाना, निगरानी एवं पर्यवेक्षण में कमी, बचाव के कौशल (तैराकी व अन्य बचाव के तरीके का न आना) का अभाव, कम उम्र के बच्चों को अभिभावकों द्वारा नदियों एवं तालाबों में नहाने के लियेध्नदियों एवं तालाबों के पास अकेले छोड़ देना है।