बलिया । सनबीम स्कूल अपने विद्यार्थियों के हित के लिए सदैव कर्तव्यबद्ध रहता है। विविध शैक्षणिक क्रियाकलापों से लेकर क्रीडा क्षेत्र तक विद्यार्थियों को समुचित व्यवस्था एवं प्रशिक्षण प्रदान कर अपने छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए हर संभव प्रयास करता है। इसी क्रम में एक अगस्त 2025 को विद्यालय प्रांगण में विद्यार्थियों के मन में भविष्य को लेकर चल रहे उधेड़बुन को दूर करने एवं उनमें आत्मबल और प्रबल इच्छाशक्ति को भरने के लिए भारत सरकार द्वारा सम्मानित प्रोफेसर रामेश्वर दुबे के प्रेरणात्मक सभा का आयोजन किया गया।
ज्ञात हो कि प्रो दुबे ने फ्रांस के मांटपेलिया विश्विद्यालय से पीएचडी और हायर रिसर्च की उपाधि प्राप्त की है। इसके अतिरिक्त इन्होंने कई विशिष्ट डिग्रियां प्राप्त की है। अपनी इन उपलब्धियों के कारण भारत सरकार एवम ब्राजील सरकार द्वारा सम्मानित प्रो दुबे ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए प्रोफेसर रामेश्वर दुबे ने छात्रों को शोध कार्य, साहित्यिक चोरी और ए आई का सही उपयोग करने की सीख दी। उन्होंने छात्रों को शोध कार्य की नैतिकता, साहित्यिक चोरी के परिणामों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस व एड-टेक टूल्स के विवेकपूर्ण उपयोग के बारे में गहन जानकारी दी ।
प्रोफेसर दुबे ने अपने संबोधन में कहा कि शोध कार्य सिर्फ जानकारी इकट्ठा करना नहीं है, बल्कि यह एक नैतिक जिम्मेदारी भी है। उन्होंने छात्रों को शोध में मौलिकता लाने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने विस्तार से बताया कि कैसे दूसरों के काम को बिना उचित संदर्भ दिए अपने काम में शामिल करना एक गंभीर अपराध है, जिसे साहित्यिक चोरी कहते हैं। उन्होंने छात्रों को इसके कानूनी और अकादमिक परिणामों के प्रति आगाह किया, जिसमें शोध पत्र रद्द होना और करियर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ना शामिल है।
इस सत्र में चर्चा का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा ए आई और एड-टेक टूल्स का सही और प्रभावी उपयोग था। प्रोफेसर दुबे ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए स्वीकार किया कि आज के डिजिटल युग में ये उपकरण शिक्षा और शोध के लिए शक्तिशाली साधन हैं। हालांकि, उन्होंने छात्रों को इन उपकरणों पर पूरी तरह से निर्भर न रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि ए आई का उपयोग केवल सहायक के रूप में किया जाना चाहिए, न कि अपनी रचनात्मकता और आलोचनात्मकता सोच के विकल्प के रूप में किया जाना चाहिए।
प्रोफेसर दुबे विद्यार्थी जीवन सफलता के लिए नैतिक मूल्यों का पालन करना अनिवार्य बताया।
इस अवसर पर विद्यालय की प्रधानाचार्या ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज जिस तरह से आप लोगों ने शिक्षा में शोध कार्य के महत्व और उसकी नैतिकता, ए आई टूल्स के विवेकपूर्ण तरीके से प्रयोग करना सीखे हैं उसे अपने जीवन में आत्मसात करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि मुझे उम्मीद है कि आप सभी आज यहाँ से जो कुछ भी सीखकर जा रहे हैं, उसे अपने शोध और पढ़ाई में लागू करेंगे। अपने कार्यों में मौलिकता बनाए रखें, दूसरों के काम का सम्मान करें और हमेशा सीखने के लिए उत्सुक रहें।
बता दें कि विद्यार्थियों के सत्र के पश्चात प्रोफेसर दुबे ने शिक्षकों के साथ भी बात की जिसमें उन्होंने शिक्षण पद्धति में आज के समय में आ रही मुख्य समस्याओं पर चर्चा की, उन्होंने शिक्षकों को सलाह दी कि वे विद्यार्थियों को ए आई टूल्स के सकारात्मक और नकारात्मक पहलू से रूबरू कराए ताकि बच्चे अपनी बौद्धिक क्षमता को पहचाने।
इस अवसर पर ग्लोबल डिन एकेडमिक हेड श्रीमती शहर बानो,सीनियर कोऑर्डिनेटर श्री पंकज सिंह , मिडिल कॉर्डिनेटर जयप्रकाश यादव तथा वरिष्ठ वर्ग के समस्त शिक्षको की उपस्थिति सराहनीय रही।