नाबालिग से दुष्कर्म का मामला: दिल्ली हाईकोर्ट ने निलंबित अधिकारी पर आरोप बरकरार रखे
August 02, 2025
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के निलंबित अधिकारी प्रेमोदय खाखा के खिलाफ लगाए गए आरोपों को बरकरार रखा है। खाखा और उनके परिवार के लोगों ने एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म के मामले में उनके ऊपर लगे आरोपों को खारिज करने की याचिका लगाई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने ऐसा करने से इंकार कर दिया। उच्च न्यायालय ने अधिकारी की पत्नी सीमा रानी के खिलाफ नाबालिग लड़की का गर्भपात कराने और सबूतों को गायब करने के आरोपों को भी बरकरार रखा। इसके अलावा, न्यायालय ने अपराध की जानकारी होने के बावजूद रिपोर्ट न करने के लिए पोक्सो अधिनियम की धारा 21 के तहत उनके दो बच्चों और पत्नी के खिलाफ लगाए गए आरोप को भी खारिज करने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति स्वर्ण काना शर्मा ने 15 जुलाई को पारित और 28 जुलाई को अपने फैसले में कहा, "इस अदालत का यह सुविचारित मत है कि सत्र न्यायालय द्वारा याचिकाकर्ता प्रेमोदय खाखा के खिलाफ आईपीसी की धारा 376(2)(एफ), 376(3), 323 और 354 तथा पॉक्सो अधिनियम की धारा 6 और 8 के तहत आरोप तय करने के आदेश में कोई विकृति या कानूनी कमी नहीं है।"
न्यायमूर्ति स्वर्ण काना शर्मा ने 15 जुलाई को पारित और 28 जुलाई को अपने फैसले में कहा, "इस अदालत का यह सुविचारित मत है कि सत्र न्यायालय द्वारा याचिकाकर्ता प्रेमोदय खाखा के खिलाफ आईपीसी की धारा 376(2)(एफ), 376(3), 323 और 354 तथा पॉक्सो अधिनियम की धारा 6 और 8 के तहत आरोप तय करने के आदेश में कोई विकृति या कानूनी कमी नहीं है।"
आरोपी के तर्क पर अदालत ने कहा कि इस संबंध में, सत्र न्यायालय ने सही कहा है कि केवल पुरुष नसबंदी कराने से यह नहीं साबित होता कि वह पीड़िता का यौन उत्पीड़न करने या उसे गर्भवती करने में असमर्थ था। उच्च न्यायालय ने कहा, "यह सही कहा गया है कि एक चिकित्सा प्रक्रिया के रूप में पुरुष नसबंदी अचूक नहीं है, और ऐसे कई मामले हैं, जहां पुरुष के नसबंदी कराने के बावजूद महिला गर्भवती हुई है।"
प्रेमोदय पर नवंबर 2020 और जनवरी 2021 के बीच एक नाबालिग लड़की से कई बार कथित तौर पर बलात्कार करने का आरोप है। अगस्त 2023 में गिरफ्तारी के बाद से वह वर्तमान में न्यायिक हिरासत में है। अधिकारी की पत्नी सीमा रानी ने कथित तौर पर लड़की को गर्भपात कराने के लिए दवाइयां दीं। वह भी न्यायिक हिरासत में है। उच्च न्यायालय ने प्रेमोदय, सीमा, उनके बेटे हर्ष, प्रतीक और बेटी प्रतीक्षा की उन याचिकाओं को खारिज करते हुए यह आदेश पारित किया, जिनमें उनके खिलाफ आरोप तय करने को चुनौती दी गई थी।
उच्च न्यायालय ने कहा कि निचली अदालत के आदेश में कोई कानूनी कमी या विकृति नहीं है। सीमा और उनके दो बच्चों के खिलाफ आरोपों को बरकरार रखते हुए, अदालत ने कहा कि उन्हें घटना की जानकारी होने के बावजूद उन्होंने अधिकारियों को इसकी सूचना नहीं दी। पीड़िता ने एक अस्पताल में मजिस्ट्रेट के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया था। इसके बाद, पति-पत्नी की जोड़ी को अगस्त 2023 में गिरफ्तार किया गया था। उनके बच्चों को जनवरी 2024 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अग्रिम जमानत दे दी गई थी। मामला पॉक्सो अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत दर्ज किया गया था।