सोनभद्र। यूपी के सोनभद्र जिले के विंढमगंज थाना क्षेत्र के धरती डोलवा गांव से एक ऐसा मामला सामने आया है, जो केवल एक प्रेम विवाह नहीं, बल्कि सामाजिक ढांचे और पारिवारिक ताने-बाने को झकझोर देने वाला प्रसंग बन गया है। यहां चार बच्चों की मां ने चार बच्चों के पिता से शादी कर ली। दोनों पूर्व में विवाहित थे और अब अपने पहले संबंधों से अलग हो चुके हैं। प्रेम के चलते दोनों ने साथ जीने का फैसला किया, लेकिन इस फैसले ने गांव में बवाल खड़ा कर दिया। जिसके बाद पंचायत ने सामाजिक बहिष्कार कर दिया गांव की पंचायत ने इस विवाह को 'परिवार और समाज के विरुद्ध' मानते हुए दोनों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया है। उनका मानना है कि इससे गांव की युवा पीढ़ी पर गलत असर पड़ेगा और पारिवारिक मर्यादाओं को ठेस पहुंचेगी। समाज में एक बड़ी चिंता यह है कि अगर ऐसे रिश्तों को बिना सामाजिक या नैतिक जवाबदेही के स्वीकार कर लिया गया, तो आने वाली पीढ़ी पारिवारिक ज़िम्मेदारियों और मूल्यों से भटक सकती है। विशेषकर जब दोनों के अपने-अपने बच्चे भी हों, तो यह सवाल और गहरा हो जाता है: हर कोई यह कह रहा क्या ये बच्चे एक नई संयुक्त परिवार व्यवस्था में सहजता से ढल पाएंगे? क्या दोनों पक्षों के बच्चे एक-दूसरे को स्वीकार करेंगे या इससे घर में तनाव बढ़ेगा? क्या इन बच्चों की मानसिक और भावनात्मक स्थिति स्थिर रह पाएगी? बच्चों का भविष्य सबसे बड़ा प्रश्न शादीशुदा ज़िंदगी टूटने का सबसे गहरा असर अक्सर बच्चों पर पड़ता है। इस मामले में भी आठ बच्चों के भविष्य को लेकर गहरी चिंता जताई जा रही है। स्थानीय लोगों का मानना है कि माता-पिता का अलग होना और फिर नए रिश्ते में जाना बच्चों के मन पर अस्थिरता, असुरक्षा और पहचान की उलझनें पैदा कर सकता है। यहां यह बात भी आती है कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता बनाम सामाजिक ज़िम्मेदारी बेशक, दो बालिग व्यक्ति कानूनन अपनी मर्ज़ी से विवाह कर सकते हैं। लेकिन क्या यह निर्णय समाज, परिवार और खासकर बच्चों की ज़िंदगी पर पड़ने वाले प्रभावों से ऊपर रखा जा सकता है? यह सवाल केवल धरती डोलवा गांव का नहीं, बल्कि पूरे समाज का है — कि हम किस तरह के व्यक्तिगत निर्णयों को सामाजिक रूप से स्वीकार करें और कहां एक सीमा खींची जाए। जिस महा पंचायत में स्थानीय गांव के अतिरिक्त कई अन्य गांव से व झारखंड के गढ़वा जिला से भी लोग एकत्रित हुए इस महा पंचायत में विभिन्न बिरादरी के लोग उपस्थित हुए। कुछ सप्ताह पहले धरती डोलवा से संजय पासवान ने बगल गांव की महिला को सहमति से लेकर भाग जाते हैं और एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं जिसमें दिखाया गया कि एक मंदिर में दोनों सिंदूर की रस्म निभाते हैं जिसके बाद दोनों एक दूसरे को पति - पत्नी के रूप में स्वीकार कर रहे हैं। संजय पासवान द्वारा इस तरह की तीसरी शादी होने की बात भी प्रधान द्वारा बताई गई । इसके पहले उनकी पहली शादी जहां हुई वहां लड़के के रंग भेद की वजह से उसे छोड़ दिया था फिर दूसरी पत्नी को खुद की पसन्द से शादी करके लाया था जिसके साथ रह भी रहे थे जिनसे चार बच्चे भी हुए एक बेटा और तीन बेटी। दो बेटियां लगभग 16 से 18 वर्ष के बीच हैं और दो बच्चे अभी छोटे हैं। वहीं जो महिला इसके साथ गई है उसके भी दो बेटे और दो बेटियां हैं। जिसे लेकर यहां पंचायत में बैठक बुलाई गई और चर्चा हुई कि यह कृत्य वैधानिक रूप से सही हो सकता है किंतु सामाजिक रूप से कितना सही है जो महिला इसके साथ गई है इसके पहले पति इस घटना के बाद काफी नीरस और डरे हुए हैं बच्चे भी विलख रहें। जिसके बाद समाज में यह निर्णय किया गया कि इनके इस कृत्य के बाद हम सब इनके खुद को अलग करते हैं
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