रामनगर/ बाराबंकी। सरयू नदी इन दिनों फिर से अपना रौद्र रूप दिखा रही है। तहसील रामनगर के तपेसिपाह गांव के पास जैन पुरवा क्षेत्र में नदी की धारा तेजी से गांव की ओर कटान कर रही है। बीते कुछ दिनों से नदी का जलस्तर घटने के बजाय बढ़ रहा है, जिससे कटान और अधिक तेज हो गया है। अब तक सैकड़ों बीघा कृषि योग्य भूमि नदी में समा चुकी है, जिससे किसानों की आजीविका पर गहरा संकट मंडरा रहा है।संजय सेतु की पांचवीं कोठी के पास नदी का बहाव सीधे गांव की ओर मुड़ चुका है। जिस भूमि को पहले सुरक्षित माना जा रहा था, अब वह भी कटान की चपेट में आ चुकी है। इस वजह से ग्रामीणों ने इस बार खेतों में कोई फसल नहीं बोई। विशेष रूप से तरबूज और खीरे की खेती करने वाले किसान इस बार खाली हाथ हैं।ग्राम प्रधान सुशील कुमार यादव ने बताया कि नदी के किनारे बसे एक किसान का घर और वहां बने कई घर अब नदी की तेज कटान के कारण खतरे में हैं। हर साल बाढ़ के दौरान यही इलाका सबसे अधिक प्रभावित होता है, और ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करना पड़ता है।अब सवाल यह है कि आखिर कब तक ग्रामीण अपनी जमीन और घर हर साल सरयू को सौंपते रहेंगे? क्या कोई स्थायी समाधान नहीं है?
केंद्रीय जल आयोग के कर्मचारी रोहित कुमार ने जानकारी दी कि गुरुवार सुबह 8रू00 बजे सरयू नदी का जलस्तर 105.020 मीटर रिकॉर्ड किया गया, जिसमें सुबह 4रू00 बजे से 1 सेंटीमीटर की वृद्धि दर्ज की गई है। फिलहाल जलस्तर खतरे के निशान से नीचे है, लेकिन नदी की सतत वृद्धि और तेज होती कटान चिंता का कारण बनती जा रही है।
किसानों और ग्रामीणों ने प्रशासन से नदी के कटान को रोकने के लिए तत्काल ठोस कदम उठाने की मांग की है। समय रहते कार्रवाई न होने पर कटान और बढ़ सकता है, जिससे जन-धन की भारी क्षति हो सकती है।