बाराबंकीः संजय सेतु मे फिर पडी दरारें, अब टूटा लोगों का भरोसा यहाँ के लोगों की जीवनरेखा संकट में
July 02, 2025
रामनगर/बाराबंकी। बाराबंकी को नेपाल सहित दर्जनों जिलों से जोड़ने वाला संजय सेतु आज खुद जर्जर हालत में के बीच झूल रहा है। सरयू नदी पर बना यह पुल न सिर्फ एक संरचना है, बल्कि यह हजारों लोगों की रोजमर्रा की जरूरत, उनके सफर और सपनों की राह है। लेकिन अब यह राह टूटती दिख रही है , और साथ में टूट रहा है लोगों का भरोसा भी।लगभग दो हफ्ते पहले 17 जून को राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (छभ्।प्) ने संजय सेतु की मरम्मत कराई थी। तीन दिन तक चला यह कार्य उस समय लोगों में उम्मीद की किरण लेकर आया था। मरम्मत में लगे सिविल जूनियर इंजीनियर मनोज चैहान सहित आधा दर्जन कर्मचारियों की निगरानी में मरम्मत का कार्य संपन्न हुआ। पुलिस और ट्रैफिक विभाग भी मौके पर तैनात रहा। लेकिन दो सप्ताह बीते नहीं कि यह पुल एक बार फिर कराहने लगा।पुल के पांच स्थानों पर लगे ज्वाइंटों में गहरी दरारें उभर आई हैं। मरम्मत में प्रयोग हुआ मसाला और कंक्रीट उखड़ चुका है। लोहे की रॉड और नट-बोल्ट अब खुलकर बाहर आ चुके हैं मानो समय से पहले ही पुल ने जवाब दे दिया हो।स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मरम्मत केवल कागजों में मजबूत रही, हकीकत में नहीं। अवधेश कुमार, सुरेंद्र कुमार, राजाराम, देव कुमार, रामजी, आरके शुक्ल और संदीप अवस्थी सहित अनेक नागरिकों ने प्रशासन से आक्रोश के साथ अपील की अब और नहीं... नया पुल बनवायें, वरना कोई बड़ा हादसा इस इंतजार में है। यह संजय सेतु प्रतिदिन हजारों वाहनों का भार उठाता है। लेकिन अब इसकी उम्र ढलान पर है। कभी दरारें, तो कभी गड्ढे, और अब घटिया मरम्मत ने इसके भरोसे को पूरी तरह तोड़ दिया है। मरम्मत के समय जाम और रुकावटें अलग सिरदर्द बनती हैं।स्थानीय प्रशासन की ओर से नए पुल के लिए करोड़ों रुपये स्वीकृत तो हो चुके हैं, लेकिन कार्य शुरू होने का कहीं नामोनिशान नहीं है। लोगों की उम्मीदें अधर में लटकी हैं और पुल की हालत बद से बदतर होती जा रही है।सिविल जूनियर इंजीनियर मनोज चैहान का कहना है कि संजय सेतु पर फिर से निरीक्षण किया जाएगा और अगर मरम्मत संभव हुई तो की जाएगी। लेकिन स्थानीय लोग अब केवल “मरम्मत” नहीं, समाधान चाहते हैं।यह पुल सिर्फ एक मार्ग नहीं यह एक उम्मीद है, एक जरूरत है।और अब यह जरूरत, एक विनती बनकर प्रशासन के दरवाजे पर खड़ी है।