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लखनऊ: चैधरी चरण सिंह सभागार सहकारिता भवन लखनऊ में राष्ट्रीय किसान मछुआरा दिवस का प्रादेशिक सम्मेलन बहुत ही जोश और जज्बे के साथ संपन्न हुआ


लखनऊ।  राष्ट्रीय मछुआरा दिवस पर सहकार भारती उत्तर प्रदेश का प्रादेशिक सम्मेलन चैधरी चरण सिंह सभागार सहकारिता भवन विधानसभा रोड लखनऊ में  आयोजित किया गया। 

उद्घाटन कार्यक्रम में दीप प्रज्वलन के उपरांत राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस के अवसर पर सहकार भारती द्वारा रचित मछुआरा संगीतबद्ध गीत को मुख्य अतिथि द्वारा लांच किया गया । 

मुख्य अतिथि सहकार भारती के राष्ट्रीय महामंत्री दीपक चैरसिया ने कहा ष्ष्जब कोई व्यक्ति स्वयं विकास करता है तो अपने लोगों को ही वह विकसित करता है , जब वह सामूहिक प्रयास करके विकास करता है तो वह समाज का सर्वांगीण विकास करता है । सहकारिता एक ऐसा ही माध्यम है , जो सामूहिक रूप से समाज को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने की दिशा में कार्यकर्ता है। सहकार भारती एक ऐसा संगठन है जो सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए वर्गों को स्वावलंबी बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि जयंती भाई केवट राष्ट्रीय प्रमुख मत्स्य सहकारी प्रकोष्ठ सहकार भारती ने अपने उद्बोधन में कहा -- श्श्जहां जल है वहां मछुआरा हैश्श् हमारा संबंध जल से है और जल - जीवन है।मत्स्य पूजक समाज के लोग स्वाभिमान के साथ अपने जीवन को समृद्ध बनाने के लिए पारंपरिक व्यवसाय को सामुहिक रूप से संगठित होकर सहकारिता के माध्यम से कार्य करते हैं तो आर्थिक व सामाजिक रूप से मजबूत होंगे। सहकार भारती  और देश के प्रधानमंत्री का एकमात्र सपना है कि देश का हर व्यक्ति सर्वांगीण विकास करें आर्थिक रूप से सक्षम हो।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रदेश अध्यक्ष डॉ अरुण कुमार सिंह ने कहा आर्थिक और सामाजिक रूप से जिनकी स्थिति ठीक नहीं है ऐसे लोगों को आर्थिक और सामाजिक स्वावलंबी बनाने की दिशा में सन 1978 से में दूर दृष्टि रखने वाले लक्ष्मण राव इनामदार जी ने सहकारिता का गठन किया था। आज देश भर में 28 राज्यों के 650 जिलों में सहकार भारती कार्य कर रही है । उत्तर प्रदेश के लगभग डेढ़ लाख मत्स्य किसानों को रोजगार मिल रहा है यह सहकारिता की ही देन है । प्रदेश महामंत्री  अरविंद दुबे ने कहा -- राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस हमें यह दिखाता है कि भारत की समृद्धि केवल खेतों की की हरियाली से नहीं बल्कि जल की गहराइयों में हो रहे परिश्रम से भी बनती है । मछली केवल भोजन ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य, रोजगार और आत्मनिर्भरता का माध्यम है।

गुरु पूर्णिमा एवं वेदव्यास जी के जन्म दिवस के अवसर पर सभी को शुभकामनाएं देते हुए प्रदेश मंत्री कैलाश नाथ निषाद ने स्वागत भाषण देते  कहा --  हर वर्ष 10 जुलाई को हम राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस मनाते हैं । यह दिवस उस ऐतिहासिक उपलब्धि की याद में मनाया जाता है । जब वर्ष 1957 में भारत के दो महान वैज्ञानिकों, डॉ हीरालाल चैधरी और डॉक्टर कुशल चक्रवर्ती ने कृत्रिम प्रजनन की तकनीक द्वारा भारत में पहली बार मछलियों का सफल प्रजनन किया था । यह उपलब्धि भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए एक क्रांति साबित हुई , जिससे मछली उत्पादन को नया जीवन मिला और लाखों लोगों के लिए आजीविका का स्रोत तैयार हुआ ।  कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में विशिष्ट अतिथि रमेश गौड सदस्य पिछड़ा वर्ग आयोग , वीरू साहनी अध्यक्ष मत्सयजीवी सहकारी संघ लिमिटेड उत्तर प्रदेश उपस्थित रहे।

कार्यक्रम के द्वितीय सत्र को प्रदेश उपाध्यक्ष सहकार भारती उत्तर प्रदेश डी.पी. पाठक , नागेंद्र सिंह उपनिदेशक एनसीडीसी , राम अवध उपनिदेशक मत्स्य विभाग मुख्यालय लखनऊ और डॉक्टर ताराचंद कुमावत वैज्ञानिक आईसीएआर- एनबीएफजीआर आदि ने संबोधित किया । इस अवसर पर राष्ट्रीय पदाधिकारी अनंत कुमार मिश्रा, कृष्ण कुमार ओझा, कुलदीप पांडे, तुषार श्रीवास्तव, एवं प्रदेश पदाधिकारी कर्मवीर सिंह, विजय कुमार पांडे ,सतीश चंद्र कठेरिया, अशोक कुमार शुक्ला, शिवेंद्र  प्रताप सिंह , सुरेंद्र सिंह चैहान ,शैलेश प्रताप सिंह , विश्वास बिश्नोई आदि प्रदेश पदाधिकारी उपस्थित रहे मंच का संचालन अभिनव कश्यप एवं हरबंस सिंह द्वारा किया गया।

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