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जामो: जालसाज ने सरकारी दीगर बंजर जमीन कूटरचना करके किया अपने नाम! अब भाई का मकान धोखाधड़ी कर लेने का कर रहा प्रयास


जामो/अमेठी। गौरीगंज की तेज तर्रार इमानदार सत्य निष्ठ उप जिलाधिकारी प्रीति तिवारी के न्यायालय से दीगर बंजर गाटा संख्या 1245-1246  जिसे शिव महेश पांडे ने जलसाजी धोखा धड़ी से अपने नाम दर्ज करा लिया था जिसका नया नंबर 2880 का 2882 हो गया और इसे बतौर संक्रमयीय भूमिधर के रूप में दर्ज कराया 1245 1246 का नया नंबर 2880 का 2882 बन गया यह जमीन इन्होंने किसी से बैनामा लिया नहीं सरकारी कर्मचारी अध्यापक थे शिव महेश पांडे इन्हें पट्टा मिल नहीं सकता था लेकिन इन्होंने जालसाजी धोखाधड़ी कूट रचना कर अधिकारियों को मिला करके जमीन को अपने नाम करा लिया सरकारी जमीन ही अपने नाम करा लिया जिसकी शिकायत कई उप जिलाधिकारी कई जिला अधिकारी कई जनसुनवाई में की गई लेकिन सभी में उल्टी सीधी रिपोर्ट लगाती रही  यही नहीं इस मामले को लेकर के पुलिस अधीक्षक अमेठी को प्रार्थना पत्र माता प्रसाद पांडे ने दिया जिलाधिकारी को भी दिया गया था इसी मामले को एसीजेएम कोर्ट में जरिये 156(3ध् दाखिल किया गया जिसमें न्यायालय ने मामले को सिविल वाद बता करके खारिज कर दिया तब माता प्रसाद पांडे ने मामले को  सत्र न्यायालय में भी अपील किया मामले पर न्याय नहीं मिल सका तब इस मामले को माता प्रसाद पांडे जी ने अपने उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सुधाकर मिश्रा जी के माध्यम से उच्च न्यायालय में ले गए  रिट पिटिशन 2073 बटे 2023 के मामले में उच्च न्यायालय में कई सुनवाई के बाद में कई अधिकारियों को तलब किया गया और गोश्वरा रजिस्टर सहित राजस्व रिकार्ड तलब किए गए जिसके क्रम में जामों के लेखपाल राहुल रंजन ने उप जिलाधिकारी न्यायालय को रिपोर्ट किया उन्होंने अपनी रिपोर्ट में  लिखा कि सुल्तानपुर जिला अभिलेखागार में किसी भी प्रकार की रिपोर्ट नहीं मिली कि कैसे शिव महेश पांडे ने इसे अपने नाम दर्ज कराया वहीं पुरानी तहसील मुसाफिरखाना होने के कारण वहां से भी पत्राचार उप जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा किया गया वहां से भी कोई रिकॉर्ड नहीं मिला तहसील गौरीगंज में भी कोई रिकॉर्ड नहीं मिला लेकिन गाटा संख्या 1245 1246 दीगर बंजर के रूप में राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज था उप जिलाधिकारी न्यायालय में इसका वाद चला   माता प्रसाद पांडे जी के वरिष्ठ अधिवक्ता गजराज शुक्ला ने न्यायालय को बताया कि यह पूरी तरह  फोरजरी है जलसाजी धोखाधड़ी से यह दर्ज कराया गया है यह टीचर थे उनके नाम पट्टा हो नहीं सकता इन्होंने किसी से बैनामा लिया नहीं है किसी मृतक आश्रित के रूप में भी जमीन उनके नाम आई नहीं है  लेकिन सरकारी कर्मचारी थे उनके नाम पट्टा हो ही नहीं सकता न्यायालय की मजिस्ट्रेट प्रीति जी  ने सुना उप जिलाधिकारी न्यायिक प्रीति तिवारी जी के न्यायालय ने मामले की सुनवाई की और अंततः पीड़ित माता प्रसाद पांडे की डिग्री हुई है माता प्रसाद पांडे और उनके परिवार ने उप जिलाधिकारी गौरीगंज को बहुत-बहुत धन्यवाद दिया है अब फिर से 1245 1246 दीगर बंजर के रूप में दर्ज होगा 2880 का 2882,  इस मामले में माननीय उच्च न्यायालय की आदेश के क्रम में आदेश हुआ है अभी इस मामले में माननीय उच्च न्यायालय क्या कार्रवाई करेगा यह डिसीजन आना बाकी है वादी जनों की मांग है इस मामले में इनके ऊपर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की जाए गंभीर धाराओं के अंतर्गत इनके ऊपर कारवाई की जाए सरकारी जमीन ही इन्होंने अपने नाम जालसाजी धोखाधड़ी करके दर्ज करा लिया न्यायालय का समय खराब किया अधिकारियों का समय खराब किया और इन्हें जेल की सलाखों के पीछे भेजा जाए यह अधिकतर जालसाजी धोखाधड़ी किया करते हैं  अगर इस मामले में इन्हें कोई गवाही करानी होती तो हजार दस बीस हजार रुपये में यह ना मालूम कितने गवाह न्यायालय में खड़ा कर देते और गवाह गवाही भी दे देते कि यह सब इनका है दरअसल यह गवाह को खरीद लेते हैं खरीद फरोख्त करते हैं गवाह बिक जाते हैं  यह अपने भाई भतीजे और ना मालूम कितने लोगों के साथ अन्याय कर रहे हैं  फिलहाल गौरीगंज की उप जिलाधिकारी प्रीति तिवारी ने गाटा संख्या 2880 का 2882 को खारिज करके उसे दिगर बंजर के रूप में दर्ज करने का आदेश पारित किया है  श्री शिव महेश पांडे के ऊपर कई जालसाजी धोखाधड़ी के मुकदमे  दर्ज हैं इन्होंने अपने भाई का मकान जलसाजी धोखाधड़ी से दर्ज कराया था  अपने बेटे के साथ मिलकर जिस पर प्रथम सूचना रिपोर्ट मुकदमा अपराध संख्या 460ध्16 धारा 419 420 467 468 471 थाना जामो पर दर्ज है इन्होंने अजनमें बच्चे के नाम भाइयों से छल कपट करके बैनामा कराया जिस पर मुकदमा अपराध संख्या 592ध्16 धारा 419 420 उनके ऊपर दर्ज है आधा दर्जन से भी अधिक मुकदमे विभिन्न न्यायालय में इनके ऊपर चल रहे हैं करीब 30  40 साल से भी अधिक समय से कर रहे हैं जलसाजी  धोखाधड़ी  वादी लड़ रहा है अधिकारियों के यहां चक्कर काटते हुए एसीजेएम कोर्ट से लेकर के हाईकोर्ट तक लंबी लड़ाई।

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