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हमारी सरकार असम की पहचान बनाए रखने के लिए काम कर रही है-हिमंत बिस्वा सरमा


पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और असम सीएम हिमंत बिस्वा सरमा दोनों सोशल मीडिया पर एक दूसरे से भिड़ गए. दोनों मुख्यमंत्रियों ने एक-दूसरे पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया.

ममता बनर्जी ने X पर पोस्ट कर कहा कि असम में बीजेपी का विभाजनकारी एजेंडा सारी हदें पार कर चुका है और असम के लोग इसका डटकर मुकाबला करेंगे. मैं हर उस निडर नागरिक के साथ खड़ी हूं जो अपनी भाषा, पहचान की गरिमा और अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए लड़ रहा है.

बता दें कि ममता बनर्जी का ये बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने राजनीतिक कारणों के चलते घुसपैठियों को बचाने के लिए एक तंत्र बनाया है. दरअसल पीएम मोदी ने टीएमसी के उन आरोपों का जवाब दिया, जिसमें कहा गया था कि बीजेपी शासित राज्यों में बंगाली भाषी प्रवासी कामगारों को गलत तरीके से अवैध बांग्लादेशी प्रवासी बताया जा रहा है.

ममता बनर्जी ने कहा कि देश में दूसरी सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा बांग्ला, असम की भी दूसरी सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा है. सभी भाषाओं और धर्मों का सम्मान करने वाले लोगों को अपनी मातृभाषा को बनाए रखने के लिए उत्पीड़न की धमकी देना भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक है.

ममता बनर्जी की पोस्ट के बाद असम सीएम ने पलटवार करते हुए कहा कि उनकी सरकार असम की पहचान को बनाए रखने के लिए निर्णायक रूप से काम कर रही है, लेकिन पश्चिम बंगाल में टीएमसी सरकार ने एक समुदाय को खुश करने और सीमा पर से हो रही घुसपैठ पर चुप रहकर बंगाल के भविष्य से समझौता किया है.

उन्होंने आगे कहा कि दीदी (ममता बनर्जी) मैं आपको याद दिला दूं कि असम में हम अपने ही लोगों से नहीं लड़ रहे हैं. हम सीमा पार से जारी अनियंत्रित घुसपैठ का निडरता से विरोध कर रहे हैं, जिसने पहले ही एक भयावह जनसांख्यिकीय बदलाव ला दिया है. साथ ही कहा कि कई ज़िलों में हिंदू अब अपनी ही ज़मीन पर अल्पसंख्यक बनने के कगार पर हैं.

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