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आवारा कुत्तों की दहशत, टहलने निकलने बुजुर्ग पर किया हमला


कर्नाटक के बेंगलुरू के कोडिगेहल्ली में कुत्तों के झुंड द्वारा कथित तौर पर हमला करने के बाद एक बुजुर्ग की मौत हो गई। मृतक की पहचान 70 वर्षीय सीतप्पा के रूप में हुई है। उनके परिजनों के मुताबिक, आधी रात के आसपास नींद न आने के कारण वो टहलने के लिए घर से बाहर निकले थे। इसी दौरान कम से कम 8 आवारा कुत्तों के एक झुंड ने कथित तौर पर उनपर हमला कर दिया। सीतप्पा के हाथ, पैर और चेहरे पर गंभीर चोटें आईं और हमले में उनके शरीर के कुछ हिस्से फट गए। घर के बाहर चीखने-चिल्लाने की आवाज सुनकर जब उनके परिवार के लोग दौड़े तो उन्होंने देखा कि कुत्तों के झुंड ने सीतप्पा के ऊपर हमला किया है। इसके बाद घायल अवस्था में जब सीतप्पा को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

इस घटना के बाद कोडिगेहल्ली पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। इस मामले में पुलिस द्वारा अप्राकृतिक मृत्यु रिपोर्ट यानी यूडीआर दर्ज की गई है। पुलिस फिलहाल सीसीटीवी फुटेज खंगाल कर रही है और पूरे घटनाक्रम को जानने के लिए लोगों से पूछताछ कर रही है। बता दें कि आवारा कुत्तों द्वारा किसी पर हमला करने की यह कोई पहली घटना नहीं है। कुछ सप्ताह पहले ही कर्नाटक के ओल्ड हुबली के शिमला नगर में एक तीन साल की बच्ची पर आवारा कुत्तों ने जानलेवा हमला किया था। दरअसल हुबली-धारवाड़ नगर निगम क्षेत्र में एक दुकान की तरफ जा रही बच्ची पर आवार कुत्तों के समूह ने हमला कर दिया। हमले के सीसीटीवी फुटेज में कुत्तों को उसके कंधे, पीठ, पैरों और हाथों को काटते और उसे जमीन पर घसीटते हुए देखा गया। इस हमले में बच्ची गंभीर रूप से घायल हो गई थी, जिसे इलाज के लिए केआईएमएस अस्पताल ले जाया गया।

बता दें कि इससे पहले राष्ट्रीय राजधानी में रोहिणी के पूठ कलां में आवारा कुत्ते के काटने से रेबीज के कारण छह साल की बच्ची की मौत से निवासियों में आक्रोश फैल गया। स्थानीय लोगों ने सोमवार को दावा किया कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने सड़कों से कुत्तों को पकड़ना तभी शुरू किया जब उच्चतम न्यायालय ने इस घटना का स्वत: संज्ञान लिया। इससे पहले दिन में उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने इस बात पर प्रकाश डाला था कि दिल्ली और इसके बाहरी इलाकों में प्रतिदिन कुत्तों के काटने के सैकड़ों मामले सामने आते हैं, जिससे अक्सर रेबीज हो जाता है और इससे बच्चे तथा बुजुर्ग लोग सबसे अधिक असुरक्षित होते हैं।

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