रामनगर /बाराबंकी। रेलवे स्टेशन जैसे संवेदनशील स्थान पर ऐसी वीभत्स घटना जिसने न सिर्फ इंसानियत को शर्मसार किया, बल्कि रेलवे प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था की भी पोल खोल दी। चैकाघाट रेलवे स्टेशन पर बुधवार देर रात स्टेशन मास्टर सुभाष चंद्र विश्वकर्मा पर आधा दर्जन से अधिक अज्ञात हमलावरों ने जानलेवा हमला कर दिया। उन्हें बुरी तरह पीटा गया, नारियल की रस्सी से गला कसकर मरा समझ झाड़ियों में फेंक दिया गया।
घटना रात 12 बजे से सुबह 8 बजे के बीच की बताई जा रही है। इस दौरान स्टेशन पर कोई और रेलकर्मी मौजूद नहीं था। जब लगातार फोन कॉल्स का जवाब नहीं मिला, तो कर्मचारियों ने खोजबीन शुरू की और सुबह करीब 5.30 बजे सुभाष चंद्र झाड़ियों में अर्द्धमृत अवस्था में पड़े मिले। उनके शरीर पर गंभीर चोटों के निशान थे और गले पर रस्सी के कसाव के स्पष्ट प्रमाण थे।पीड़ित को पहले रामनगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां से उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। चिकित्सकों के अनुसार, सुभाष चंद्र को गहरी शारीरिक और मानसिक चोटें पहुंची हैं।
होश में आने के बाद सुभाष चंद्र ने बताया, रात के समय करीब 6-7 लोग स्टेशन पर आए। उन्होंने मुझे पकड़ लिया, हाकी से मारा, नारियल की रस्सी से गला दबाया और मेरे मुंह में पेशाब किया। यह हमारे ऊपर दूसरा हमला है, पहले भी जान से मारने की कोशिश हो चुकी है। हमारी कोई सुनवाई नहीं हुई, हम न्याय चाहते हैं।
घटना के बाद करीब दो घंटे तक मेल लाइन पर ट्रेनों का संचालन ठप रहा। प्वाइंट्समैन की गैरमौजूदगी से स्थिति और भयावह हो गई। घाघरा घाट स्टेशन से संपर्क करने पर उच्चाधिकारियों को सूचना दी गई।
रेलवे प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां अभी तक किसी भी आरोपी तक नहीं पहुंच पाई हैं। बुढ़वल रेलवे थाने के प्रभारी अजमेर सिंह मामले में कोई स्पष्ट जानकारी देने से बचते नजर आए।रेलवे कर्मियों की सुरक्षा की अनदेखी ने पूरे तंत्र को कठघरे में खड़ा कर दिया है। एक जिम्मेदार कर्मचारी पर दो बार जानलेवा हमला और फिर भी कोई ठोस कार्रवाई न होना, व्यवस्था की असफलता को दर्शाता है।अब सवाल यही है कि जब खुद स्टेशन मास्टर सुरक्षित नहीं, तो बाकी कर्मचारियों का क्या होगा? क्या रेलवे अपने कर्मियों की जान की कीमत समझेगा, या यह मामला भी कागजों में दफ्न होकर रह जाएगा?।