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मिर्जापुर: त्योहार आते ही मिलावटखोरी चरम पर,जिम्मेदार फूड विभाग की बल्ले-बल्ले,चरम पर होगी अवैध वसूली


राजगढ़/मिर्जापुर। मड़िहान तहसील क्षेत्र के गांवों,चट्टी,चैराहों पर संचालित मिठाई व खाद्य पदार्थ की दुकानें हो या क्षेत्र में मावा चलाने वाली भट्टियां। लगातार आगामी त्योहारों को देखते हुए चरम सीमा पर मिलावटखोरी शुरू कर देते हैं। जिम्मेदार संस्था मिलावटखोरों पर शिकंजा कसने के बजाय साथ देती है। क्योंकि मिलावटखोरी से की गई अवैध कमाई का हिस्सा जो इनको भी मिलता है। त्योहारों पर खूब मिलावट करके काफी पैसे कमाने वाले मिलावटखोर,जिम्मेदार संस्था के द्वारा लिए जाने वाली अवैध वसूली देने में नहीं हिचकते। क्योंकि उनको मालूम है कि कार्यदाई संस्था के मिली भगत से ही मिलावटखोरी संभव है। गौरतलब हो कि मड़िहान तहसील के राजगढ़ क्षेत्र हो या संतनगर क्षेत्र सभी जगहों पर मिलावटखोर,त्योहार शुरू होने के एक-दो दिन पहले मिलावटखोरी करना शुरू कर देते हैं। केमिकल पाउडर से मावा बनाकर मिठाईयां तैयार करना हो,चाहें घटिया तेल का प्रयोग करके खाद्य सामग्री तलने का कार्य। परचून के दुकानों पर त्योहारों पर उमड़ने वाली भीड़ों को देखते हुए,नमक,तेल,दाल,हल्दी व अन्य खाद्य सामग्रियों में मिलावट करना शुरू कर दिया जाता है। जनता बगैर रोक टोक,मिलावटी खाद्य सामग्री का उपयोग करके,फुड प्वाइजनिंग का शिकार बन जाती है। उनका डबल नुकसान हो जाता है। एक तो ऊंचे दामों में मिलावटी खाद्य सामग्री खरीदना,दूसरा उसका उपयोग करके बीमार हो जाना। जनता का क्या दोष है कि भारत का नागरिक है। जहां सारे दोष जनता को ही थोपे जाते हैं। यहां भी दोष जनता को ही थोपा जा सकता है। मिलावटी सामान क्यों खरिदें,क्यों त्योहार मनायें। यहां ऊंची पगार उठाने वाले फूड विभाग क्या कर रहा है। केवल अवैध वसूली कब अपने भूमिका में आयेगे। कब मिलावटी खाद्य सामग्रियों का सेंपल लेंगे। कोई अता पता नहीं है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि मड़िहान तहसील क्षेत्र के अंतर्गत मिलावटखोरी के विरुद्ध फूड विभाग की छापामारी व कार्रवाई होती ही नहीं। या तो यहां मिलावटखोरी होती ही नहीं या ले देके मामले रफा दफा किये जाते हैं। ऐसे स्थिति में जनता को जागरूक होना होगा। भारतीय न्याय संहिता में मिलावटखोरों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करके आजीवन कारावास तक का प्रावधान है। जनता को मिलावटखोरों के खिलाफ आवाज उठानी होगी। खाद्य सामग्रियों का जांच परख करके उपयोग में लाना होगा। मिलावट की जानकारी होने पर पुलिस को सूचना देना होगा। जनता के जागरूकता से मिलावटखोरी कम हो सकती है। सरकार को भी मिलावटी खाद्य सामग्रियों के पहीचान के लिए जनता को प्रशिक्षण देना चाहिए।

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