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डीयू की पूर्व प्रोफेसर, पद्मश्री से सम्मानित



राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Droupadi Murmu) ने राज्यसभा के लिए चार नई प्रतिष्ठित हस्तियों को नामित किया है. इनमें वरिष्ठ अधिवक्ता उज्ज्वल निकम, पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. मीनाक्षी जैन और केरल के समाजसेवी सी. सदानंदन मास्टर शामिल हैं. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत राज्यसभा, जो संसद का उच्च सदन है, अधिकतम 250 सदस्यों तक हो सकती है. इनमें से 238 सदस्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से चुने जाते हैं, जबकि 12 सदस्यों को राष्ट्रपति नामांकित करते हैं. ये नामांकन ऐसे व्यक्तियों को दिए जाते हैं जिन्होंने साहित्य, विज्ञान, कला या सामाजिक सेवा जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया हो.

डॉ. मीनाक्षी जैन (Dr. Meenakshi Jain) भारत की जानी-मानी इतिहासकार हैं, जिनका काम मुख्यतः मध्यकालीन और औपनिवेशिक भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक प्रक्रियाओं पर केंद्रित रहा है. वह दिल्ली विश्वविद्यालय के गार्गी कॉलेज में इतिहास की एसोसिएट प्रोफेसर रह चुकी हैं. इसके अलावा उन्होंने नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी में फेलो के तौर पर और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (ICHR) की शासी परिषद की सदस्य के रूप में भी कार्य किया है. फिलहाल, वह भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) की सीनियर फेलो हैं.

उनकी शोधपरक पुस्तकें अक्सर ऐतिहासिक विमर्श के केंद्र में रही हैं और राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर सवाल उठाती रही हैं. वह रोमिला थापर और सतीश चंद्र जैसे इतिहासकारों के दृष्टिकोण को चुनौती देती रही हैं. डॉ. मीनाक्षी जैन का राज्यसभा में पहुंचना उस वैचारिक संघर्ष का परिणाम माना जा रहा है. इसे भारतीय इतिहास लेखन में 'परिवर्तन की राजनीति' का इनाम भी कहा जा रहा है. साल 2020 में उनके ऐतिहासिक शोध और लेखन के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया था.

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