आगरा। आगरा छावनी क्षेत्र की जनता आजकल खुद को राजनीतिक खींचतान और भ्रष्ट व्यवस्था के बीच पिसता हुआ महसूस कर रही है। सीट की भागीदारी को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है, वहीं एक व्यक्ति विशेष को निशाना बनाया जा रहा है। जनता का कहना है कि बीते वर्षों में जो भी विकास के नाम पर ढिंढोरा पीटा गया इसकी जनता ने पोल खोल दी स्थानीय जनता ने कहा कई सालों से मेंबर ,उपाध्यक्ष अधिकारियों का चेहरा तक नहीं देखा तो विकास कैसे करा दिया लोगो का आरोप है कि करोड़ों रुपए सफाई के नाम से खर्च कर सरकार की आंखों में धूल झोंक अपना विकास किया है पिछली 20 साल से नौकरी कर रहे अधिकारी ठेकेदार ने कागजों में अकूत संपति एकजुट की है छावनी परिषद के कई कर्मचारियों की आय से अधिक संपत्ति की जांच की जाए उनके परिजन वो रिश्तेदारों आय के काले चिट्ठे जनता के सामने होंगे, छावनी में सफाई व्यवस्था लंबे समय से एक ही फर्म के अधीन रही, जिसके चलते ठेकेदारों की मनमानी चरम पर रही। सफाई के नाम पर केवल खानापूर्ति हुई, जबकि करोड़ों रुपये की वसूली कर सफाई ठेकेदारों ने अपना बड़ा साम्राज्य खड़ा कर लिया। 15 साल पहले खरीदी गई संपत्तियों की आय-व्यय जानकारी अब उनके लिए कानूनी मुसीबत बन सकती है।ठेकेदार की रसूखदारी का आलम यह है कि शहर के अधिकांश विभागों में एक ही कंपनी आउटसोर्सिंग के जरिए अधिक पैसे लेती रही और कर्मचारियों को कम वेतन पर रखती रही। इस गोरखधंधे से भी अकूत संपत्ति अर्जित की गई। कमीशनखोरी इस कदर व्याप्त है कि पारदर्शिता नाम की कोई चीज नहीं दिखती।
स्थानीय लोगों का कहना है कि वर्षों से न तो कोई अधिकारी दिखा और न ही कोई नेता। वार्ड नं. 1 की निवासी नीतू सिंह बताती हैं कि पहली बार ब्रिगेडियर जैसे बड़े अधिकारी जनता के बीच आए और उनकी समस्याओं को सुना।
मनोनीत छावनी सदस्य राजेश गोयलके सक्रिय होने के बाद छावनी में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद जगी है उनके बनने के दर्जनों बार लोगों के बीच पहुंचकर उनकी समस्या को जानने की कोशिश की है जनता को उम्मीद की पुरानी बीमारी का इलाज सही से होगा।।
“छावनी का विकास बीमार पड़ा है, उसे दुरुस्त करने में समय लगेगा। लेकिन कुछ कमीशनखोरों की दुकानें बंद होने से वे बौखलाए हुए हैं। वे व्यक्ति विशेष पर निशाना साध रहे हैं ताकि अपनी लूट को फिर से शुरू कर सकेंजनता अब जान चुकी है कि ष्विकासष् के नाम पर कितने वर्षों से उनका शोषण हुआ है। कुछ तत्व जनता को भ्रमित कर रहे हैं ताकि विकास कार्यों को रोका जा सके, लेकिन अब छावनी की जनता जागरूक हो रही है और पारदर्शिता की मांग कर रही है।