लखनऊ। गोकुल ग्राम डूडा कॉलोनी बीबी खेड़ा नई पुरानी काशीराम गोविंद नगर हंसखेड़ा चुन्नू खेड़ा मुन्नू खेड़ा लालेश्वर मंदिर से संबंधित क्षेत्र के उपभोक्ता लगभग 5 घंटे तक बिजली न आने से परेशान रहे बारिश का मौसम होने के कारण दोपहर बाद से ही अंधेरा छाया रहा वहीं बिजली न होने से लोगों को पानी की भी समस्या का भी सामना करना पड़ाकबीर नगर क्षेत्र का बुरा हालवहीं उपभोक्ताओं का आरोप है अवरअभियंता राजकुमार की तैनाती के बाद से ही विद्युत आपूर्ति निरंतर बाधित रहती है
वहीं सूत्रों की माने तो पुरानी नई कांशीराम कॉलोनी डूडा कॉलोनी सहित क्षेत्र में तमाम जगहों पर फर्जी मीटरों के आधार पर तमाम कनेक्शन दौड़ रहे हैं जिससे अत्यधिक लोड पड़ने से अक्सर ट्रांसफार्मर फुंक जाते हैं एवं विद्युत आपूर्ति बाधित होती हैपिछले दिनों एक दैनिक समाचार पत्र में छपी खबर के आधार पर जांच में गजब का खेल उजागर हुआ जिसमें बकाया पर उतारे गए मीटर एवं ऐसे परिसर जिनकी बकाया विद्युत वसूली हेतु राजस्व वसूली के तहत निरंतर कार्यवाही प्रचलित है।
उन पर भी फर्जी मीटर लगाकर संयोजन संचालित मिले संविदा कर्मचारी की बलि देकर उपखंड अधिकारी एवं अवर अभियंता को बचाने का प्रयास। पूरे प्रकरण में लंबी दूरी के अनेकों कनेक्शन एवं प्लाटिंग एरिया में बगैर एस्टीमेट कनेक्शन जारी किए गए । मामला सुर्खियों में आने पर कबीर नगर उपकेंद्र के ऑपरेटर सर्वेश कुमार को सेवा से हटा दिया गया। वहीं सूत्रों की माने तो लगभग 17 कनेक्शन बकाएं पर दिए गए मामला तूल पकड़ता देख मात्र 7 मीटर उतरवाकर कार्रवाई रोक दी गई । अधिकारियों को बचाने के लिएठेकेदारों को आरोपी बना सकता है विभाग
वह इस पूरे मामले में उतारे गए मीटरों की संख्या मिलान करने पर विभु एंटरप्राइजेज एवं वेदांता फर्म पर सवालिया निशान लग रहे हैं वही बड़ा सवाल यह है कि जब विभाग द्वारा मीटर उतार लिए गए तो वह परीक्षण खंड में जमा होने चाहिए दोबारा वही मीटर परिसर पर स्थापित होने से ठेकेदार कैसे दोषी हो गया।
भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए जाने जाने वाले मुख्य अभियंता रजत जुनेजा ने तत्काल दोनों अधीक्षण अभियंता के नेतृत्व में कमेटी गठन कर चार दिनों में रिपोर्ट मांगी वहीं अधिकारियों द्वारा समय सीमा में कार्य ना करने के कारण 28 जुलाई को पुनः स्मरण पत्र जारी किया।
इस संबंध में अवर अभियंता राजकुमार ने जहां उपकेंद्र पर 12000 उपभोक्ताओं की संख्या बताई वही उपखंड अधिकारी ने 8000 एवं अधिशासी अभियंता ने 6000 बताई।
