अमेठीः कहीं ऐसा न हो लग जाय आग पानी में, कहीं ऐसा न हो मौत आ जाये जवानी मे.! मासिक कवि गोष्ठी का शुभारम्भ
June 29, 2025
अमेठी। रविवार अवधी साहित्य संस्थान अमेठी की ओर से स्थानीय डाक बंगले में मासिक कवि गोष्ठी का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती जी एवं गोस्वामी तुलसीदास जी की प्रतिमा पर पूजा,अर्चना एवं माल्यार्पण तथा अमर बहादुर सिंह श्अमरश् की वाणी वंदना से हुआ। ? कवि गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कुंज बिहारी मौर्य श्काका श्रीश् ने पढ़ा रीति-रिवाज,आदर, सत्कार सब भरा बा,कइसे कह्या हे बाबू गउंवा मा काव धरा बा। अध्यक्ष अवधी साहित्य संस्थान अमेठी डॉ अर्जुन पाण्डेय ने पढ़ा माया नगरी मा फसा दुखिया सबै संसार,ढूढ़त वोका जगत मा कइसेन लागे बेड़ा पार।रामेश्वर सिंह निराश ने पढ़ा सपने मा न इ केहू सोचे रहा पहलगाम मा ऐसी घटे घटना,जे देश कै सीस झुकावत बा,ओके सीस जरूरी है कटना। अमर नाथ गुप्ता बेजोड़ ने पढ़ा कहीं ऐसा न हो लग जाय आग पानी में, कहीं ऐसा न हो मौत आ जाये जवानी में।राम कुमारी श्संस्सृतिश् ने पढ़ा बारिश की रितु आइ गइल मोरी गोइयां हो,चलौ मिलि जुलिके विरवा रोपाई करी हो। रामबदन शुक्ल पथिक ने पढ़ा तुम बोलो न कोयल बाग मेरे पपिहा तुहू नाही पिया रट लावा। शब्बीर अहमद सूरी ने पढ़ा समन्दर,समन्दर, समन्दर है दुनिया,जो पैदा हुई इसके अन्दर है दुनिया। ज्ञानेन्द्र पाण्डेय अवधी मधुरस ने पढ़ा बेरि केरि कयि संगु निभै ना,अन्धि भक्ति दिनु चारि सरै ना। जगदम्बा तिवारी श्मधुरश् ने पढ़ा यहि सावन न अउब्या साजन छपवाइ देब अखबार मा,खाई जहर मरि जाबै येक दिन संइयां तोहरे पियार मा। फतेहबहादुर सिंह ने पढ़ा दुश्मन को यह तो दिल में ठहरने देती,अन्दर जो लगी है उसे बुझने नही देती। सुरेश चन्द्र शुक्ल श्नवीनश् ने पढ़ा प्यासी अंखियां राह निहारे कैसे दरस दिखाओगे,परदेशी कब आओगे।अजय अनहद ने पढ़ा मतलब से जब काम निकलने लगते हैं,कड़वे फल भी मीठे लगने लगते हैं ।अमर बहादुर सिंह अमर ने पढ़ा दिल हमारा समुंदर का पानी नही,जान पहचान बिन मेहरबानी नही।कवि गोष्ठी में कवियों ने अपनी रसभरी कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कवि गोष्ठी में अम्बरीष कुमार मिश्र,संतोष श्रीवास्तव, कैलाश नाथ शर्मा, डॉ अभिमन्यु कुमार पाण्डेय एवं एस पी मिश्रा आदि की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही।कवि गोष्ठी का संचालन प्रख्यात कवि समीर मिश्र ने किया।