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कई बड़े समझौते और ऐलान! साइप्रस में पीएम मोदी ने दुनिया को दिलाया भारत की ताकत का एहसास


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस के साथ शिष्टमंडल स्तर की वार्ता की जिसमें द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए कई मुद्दों पर चर्चा की गई। मोदी वर्तमान में साइप्रस की यात्रा पर हैं, जो उनके तीन देशों के दौरे का पहला चरण है। वार्ता से पहले राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री के आगमन पर उनका औपचारिक स्वागत किया गया। बाद में, मोदी ने क्रिस्टोडौलिडेस के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की। उन्होंने पिछले 10 साल के कार्यकाल में भारत की आर्थिक प्रगति को रेखांकित किया।

कहा कि नीति-निर्माण में स्थिरता, व्यावसायिक वातावरण में सुधार, डिजिटल क्रांति और अगली पीढ़ी के सुधारों ने भारत को विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना दिया है। “भारत आज विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और बहुत जल्द यह तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा। भारत में जीएसटी जैसे कर सुधार, कॉरपोरेट टैक्स में कटौती, कानूनों का अपराधीकरण खत्म करना, और व्यापार में विश्वास बढ़ाने जैसे कई बड़े बदलाव हुए हैं।”

इस अवसर पर पीएम मोदी ने साइप्रस के साथ द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती की संभावनाओं पर बल दिया और कहा कि भारत और साइप्रस के बीच व्यापार, निवेश, डिजिटल भुगतान, पर्यटन, रक्षा, लॉजिस्टिक्स और स्टार्टअप जैसे क्षेत्रों में गहरा सहयोग हो सकता है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत की डिजिटल क्रांति का असर पूरी दुनिया में देखा जा रहा है। “आज दुनिया के 50 प्रतिशत डिजिटल लेन-देन भारत में होते हैं, जिसका श्रेय यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) को जाता है,” उन्होंने कहा। इस क्रम में NPCI इंटरनेशनल और यूरोबैंक साइप्रस के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं, जिससे दोनों देशों के बीच सीमा-पार भुगतान संभव हो सकेगा।

साइप्रस और भारत में इस दौरान महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर हुए, जिसमें NSE इंटरनेशनल एक्सचेंज (गिफ्ट सिटी, गुजरात) और साइप्रस स्टॉक एक्सचेंज के बीच सहयोग स्थापित किया गया है। यह यूरोप और भारत के बीच ऐसा पहला वित्तीय सहयोग है। प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि कई भारतीय कंपनियां साइप्रस को यूरोप के लिए एक प्रवेश द्वार के रूप में देखती हैं, खासकर आईटी, पर्यटन और वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में।

पीएम मोदी ने कहा कि "23 वर्षों में यह पहला अवसर है जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री साइप्रस आया है और पहला कार्यक्रम एक बिजनेस राउंडटेबल था, जो कि यह इस बात को दर्शाता है कि दोनों देशों के आर्थिक संबंध कितने महत्वपूर्ण हैं।"

भारत–ग्रीस–साइप्रस ने मिलकर एक त्रिपक्षीय व्यापार एवं निवेश परिषद (IGC) की स्थापना की घोषणा की है। जिससे शिपिंग, ग्रीन एनर्जी, एविएशन और डिजिटल सेवाओं जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। साइप्रस और तुर्की के बीच लंबे समय से चले आ रहे राजनीतिक तनाव के परिप्रेक्ष्य में भी प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा को रणनीतिक दृष्टि से भी अहम माना जा रहा है।

पीएम मोदी ने साइप्रस के राष्ट्रपति के साथ वार्ता के बाद कहा, यह युद्ध का युग नहीं है। उन्होंने और साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस ने पश्चिम एशिया और यूरोप में चल रहे संघर्षों पर ‘‘चिंता जताई’’ और उन दोनों का मानना है कि ‘‘यह युद्ध का युग नहीं है।’ बातचीत के जरिए समाधान और स्थिरता बहाल करने की जरूरत है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी यात्रा भारत-साइप्रस संबंधों में एक नया अध्याय लिखने का एक ‘‘स्वर्णिम अवसर’’ है।

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