बाराबंकीः भीषण गर्मी और तपिश के बीच हलक तर करने को नसीब नहीं पेयजल, 43 डिग्री की झुलसाती गर्मी, लेकिन प्यासे राहगीर! प्रशासन बेखबर
June 01, 2025
सुबेहा/बाराबंकी। सेल्सियस तक पहुंच गई, आदर्श नगर पंचायत के राहगीर पानी की एक बूंद को तरसते नजर आए। गलियों में चिलचिलाती धूप थी, सिर पर आग बरस रही थी, लेकिन प्यास बुझाने के लिए न एक प्याऊ था, न कोई मटका।ऐसे मे राहगीरों को हलक तर करने के लिए पेयजल के लिए भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सुबेहा नगर पंचायत को ष्आदर्शष् का तमगा मिला है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। भीषण गर्मी में जब राहगीरों, मजदूरों, दुकानदारों और ऑटो चालकों को सबसे ज्यादा जरूरत होती है ,पानी और छांव की तो प्रशासन के इंतजाम कहीं नजर नहीं आते। स्थानीय लोगों का कहना है कि हर साल यही होता है। गर्मी आती है, लोग प्यास से बेहाल होते हैं, लेकिन प्रशासन की नींद तभी टूटती है जब मीडिया सवाल पूछता है। इस बार भी कुछ अलग नहीं हुआ। जब अधिशासी अधिकारी अशोक कुमार खरवार से बात की गई तो उन्होंने लापरवाही से कहा,“आज रविवार है, सोमवार को मटके लगवा दिए जाएंगे।”सवाल उठता है क्या अब जनता की प्यास भी रविवार-सोमवार देखकर बुझाई जाएगी? क्या जनता को सप्ताह के दिन गिनकर राहत दी जाएगी?नगर पंचायत अध्यक्ष देवी दीन तो पत्रकारों का फोन उठाने तक का जहमत नही उठाती । उनके प्रतिनिधि अदनान चैधरी ने बात करने पर कहा, नगर में नल कनेक्शन हैं, लोग वहीं से पानी पी रहे हैं। लेकिन हकीकत यह है कि सुबेहा थाने से यूको बैंक तक कोई भी सार्वजनिक नल मौजूद नहीं है। ऐसे में दुकानदारों, राहगीरों और गरीब तबके के लोगों को पानी की तलाश में इधर-उधर भटकना पड़ता है। जब पत्रकार ने सवाल किया तो जवाब मिला,टैंकर लगवा देंगे। ये बयान न सिर्फ असंवेदनशील हैं, बल्कि जनता के बुनियादी अधिकारों की खुली अनदेखी भी है।
वोट मांगने हर नेता घर-घर आता है, लेकिन जब गर्मी में प्यास से जान हलक में अटकती है, तब कोई नेता या अधिकारी नजर नहीं आता।अब भी वक्त है कि प्रशासन जागे और बिना देर किए नगर के भीड़भाड़ वाले इलाकों, बाजारों और बस स्टॉप जैसे स्थानों पर पानी के मटके, प्याऊ, छायादार टीन शेड और बैठने की अस्थायी व्यवस्था सुनिश्चित करे।जनता की प्यास को अनदेखा करना सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि लोकतंत्र और मानवता दोनों का अपमान है।