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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बर्थडे परेड पर लगा ग्रहण! एक्शन के मूड में अमेरिकी


अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सुर्खियों में हैं. इस बार वह अपने जन्मदिन और अमेरिकी सेना की 250वीं वर्षगांठ के मौके पर एक सैन्य परेड आयोजन करने को लेकर चर्चा में है. 14 जून को वाशिंगटन डीसी में सैन्य परेड का आयोजन किया जाना है. संयोगवश ट्रंप का 79वें जन्मदिन भी एक ही दिन पड़ रहा है. इस योजना को लेकर देशभर में विवाद छिड़ गया है.

परेड की आधिकारिक पुष्टि व्हाइट हाउस की तरफ से की जा चुकी है, जिसे सैनिकों के सम्मान के रूप में पेश किया जाएगा. व्हाइट हाउस ने लिखा कि जिन्होंने हमें स्वतंत्र रखने के लिए लड़ाई लड़ी, खून बहाया और मर गए. हम उनका सम्मान करने के लिए 14 जून को वाशिंगटन डीसी में सैन्य परेड का आयोजन करने वाले हैं. हालांकि, अमेरिकी जनता को इस आयोजन के पीछे कुछ और प्लानिंग नजर आ रही है. उन्हें लग रहा है कि ट्रंप अमेरिकी सेना की 250वीं वर्षगांठ के मौके पर अपना जन्मदिन धूमधाम मानना चाहते हैं, जिसमें जनता का पैसा पानी की तरह बह जाएगा. इस वजह से लोग ट्रंप की फैसले की आलोचना कर रहे हैं.

इस तरह के सैन्य आयोजन में भारी मात्रा में खर्च और सैन्य संसाधनों की जरूरत पड़ेगी. इसमें लाखों डॉलर, हजारों सैनिक और सैकड़ों कर्मचारी शामिल होंगे. कई आलोचकों का मानना है कि यह परेड असल में राष्ट्रपति ट्रंप के विशाल अहंकार को संतुष्ट करने का एक तरीका है न कि देश के वीर सैनिकों को सम्मानित करने का. 'लेफ्ट एक्शन' नामक संगठन ने इस आयोजन के विरोध में एक ऑनलाइन याचिका शुरू की है, जिसका शीर्षक है “ट्रंप के जन्मदिन परेड को तुरंत रद्द करें.” यह याचिका Care2 प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित की गई और इसमें 25,000 हस्ताक्षरों का लक्ष्य निर्धारित किया गया, जिनमें से 23,000 हस्ताक्षर पहले ही हो चुके हैं. याचिका में कहा गया है, “अमेरिका के सशस्त्र बल हमारे देश की रक्षा के लिए हैं. किसी तानाशाह बनने की चाह रखने वाले के लिए खिलौनों की तरह काम नहीं करते.”

यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने सैन्य परेड आयोजित करने की इच्छा जताई हो. 2018 में उनके पहले कार्यकाल के दौरान वेटरन्स डे पर एक सैन्य परेड आयोजित करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन भारी खर्च और विरोध के कारण उसे रद्द कर दिया गया था. उस योजना की अनुमानित लागत $92 मिलियन डॉलर बताई गई थी, जिसने कांग्रेस और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों में आलोचना को जन्म दिया. इस तरह की योजनाएं आमतौर पर निरंकुश शासन प्रणाली वाले देशों में देखी जाती हैं. अमेरिका में इस प्रकार का सैन्य प्रदर्शन दुर्लभ है. यही कारण है कि ट्रंप के आलोचक इस परेड को लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ मानते हैं.

ट्रंप समर्थकों का मानना है कि यह आयोजन उन सैनिकों को श्रद्धांजलि देने का एक उपयुक्त माध्यम है, जिन्होंने देश की सेवा में अपना जीवन समर्पित किया है. वहीं, आलोचक इसे ट्रंप के व्यक्तिगत ब्रांड प्रचार का मंच मानते हैं.

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