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राष्ट्र सावरकर के साहस और संघर्ष को कभी नहीं भूल सकता-पीएम मोदी


भारत के स्वतंत्रता सेनानी और हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर की आज 28 मई को जयंती है। महाराष्ट्र से ताल्लुक रखने वाले वीर सावरकर ब्रिटिश साम्राज्य से आजादी पाने के लिए क्रांतिकारी विचारधारा के प्रबल समर्थक थे। इस कारण उन्हें अंग्रेजों ने काफी कठोर सजा दी थी और उन्हें अंडमान द्वीप पर कैद कर दिया था जिसे काला पानी की सजा भी कहते हैं। वीर सावरकर की जयंती पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट किया है और उन्हें भारत माता का सच्चा सपूत बताया है। पीएम मोदी ने कहा है कि देश सावरकर के साहस और संघर्ष को कभी नहीं भूल सकता।

विनायक दामोदर सावरकर की जयंती पर पीएम मोदी ने ट्वीट में कहा- "भारत माता के सच्चे सपूत वीर सावरकर जी को उनकी जन्म-जयंती पर आदरपूर्ण श्रद्धांजलि। विदेशी हुकूमत की कठोर से कठोर यातनाएं भी मातृभूमि के प्रति उनके समर्पण भाव को डिगा नहीं पाईं। आजादी के आंदोलन में उनके अदम्य साहस और संघर्ष की गाथा को कृतज्ञ राष्ट्र कभी भुला नहीं सकता। देश के लिए उनका त्याग और समर्पण विकसित भारत के निर्माण में भी पथ-प्रदर्शक बना रहेगा।"

सावरकर का जन्म 28 मई, 1883 को नासिक, महाराष्ट्र में हुआ था। उन्होंने युवावस्था से ही अंग्रेजी शासन के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजा दिया। सावरकर ने लंदन में ‘अभिनव भारत’ और ‘फ्री इंडिया सोसाइटी’ जैसे संगठनों की स्थापना की थी। उन्होंने भारतीय युवाओं को सशस्त्र क्रांति के लिए प्रेरित किया। सावरकर का डर अंग्रेजों के मन में इसलिए भी था, क्योंकि वे केवल एक क्रांतिकारी ही नहीं, बल्कि एक प्रखर विचारक भी थे। इसके चलते उन्हें 1910 में लंदन में गिरफ्तार किया गया। 1911 में उन्हें 2 आजीवन कारावास की सजा सुनाकर अंडमान की सेलुलर जेल, यानी कालापानी, भेज दिया। का मानना था कि हालांकि, कालापानी में अंग्रेजों की अमानवीय यातनाएं सावरकर के क्रांतिकारी विचारों को दबा नहीं सकी, उन्होंने वहां भी हार नहीं मानी। सावरकर ने जेल की दीवारों पर कविताएं लिखीं, जो बाद में स्वतंत्रता सेनानियों के लिए प्रेरणा बनीं।

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