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थायराइड बढ़ने का मुख्य कारण क्या है, शरीर के किन अंगों में होता है इसका दर्द, जानें


थायराइड हार्मोन शरीर की कोशिकाओं को ऊर्जा उपयोग करने, हृदय गति को नियंत्रित करने, और शरीर के तापमान को बनाए रखने में मदद करते हैं। थायराइड बीमारी तब होती है जब थायराइड ग्रंथि पर्याप्त या बहुत अधिक थायराइड हार्मोन का उत्पादन करती है। चलिए जानते हैं थायराइड किन कारणों से बढ़ता है और जब यह बढ़ जाता है तो शरीर के किन अंगों में दर्द होता है बचाव के लिए क्या करें?

थायरॉयड बढ़ना यानी हाइपर थायरॉयडिज्म एक गंभीर समस्या है। इस स्थिति में शरीर में थायरॉयड हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। ऑटोइम्यून डिसऑर्डर ग्रेव्स डिसीज के कारण शरीर का इम्यून सिस्टम थायरॉयड ग्रंथि को निशाना बनाने लगता है, जिससे थायरॉयड हार्मोन का स्राव बढ़ जाता है। थायरॉयड ग्रंथि में गांठ के कारण भी इसकी सक्रियता बढ़ सकती है। थायरॉयड ग्रंथि में होने वाले इन्फ्लेमेशन थायरॉयडिटिस के कारण भी थायरॉयड ग्रंथि जमा किया हुआ थायरॉयड खून में भेजने लगती है, जिससे हाइपर थायरॉयडिज्म हो जाता है। बहुत ज्यादा आयोडीन के सेवन से भी थायरॉयड हार्मोन बढ़ने का खतरा रहता है। पिट्यूटरी ग्लैंड में बनने वाली कुछ नॉन-कैंसरस गांठें भी कई बार थायरॉयड के स्राव को बढ़ा देती हैं। दिल की बीमारियों के इलाज के लिए प्रयोग होने वाली कुछ दवाओं से भी थायरॉयड का स्राव बढ़ने का खतरा रहता है।
थायराइड में कहाँ होता है दर्द?

  • मांसपेशियों में दर्द में ऐंठन की समस्या: शरीर में थायरॉयड का स्तर बढ़ने से मांसपेशियों में दर्द में ऐंठन की समस्या हो सकती है। इस स्थिति को हाइपर थायरॉयड मायोपैथी कहा जाता है।
  • आंखों में दर्द और सूजन: हाइपर थायरॉयडिज्म के कारण थायरॉयड आई डिसीज का खतरा भी रहता है। इससे आंखों में दर्द, सूजन और आंखें लाल होने की समस्या हो सकती है।
  • पेट में दर्द: थायरॉयड का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ने से थायरॉयड क्राइसिस की स्थिति बन सकती है, जिससे पेट में दर्द, बुखार और सतर्कता की कमी जैसे लक्षण दिखते हैं।
  • जोड़ों में दर्द: थायरॉयड का स्तर बढ़ने से आर्थराइटिस यानी गठिया का खतरा भी बढ़ जाता है।
इलाज के हैं कई तरीके:

हाइपर थायरॉयडिज्म के इलाज के लिए एंटी थायरॉयड दवा, रेडियोएक्टिव आयोडीन थेरेपी, बीटा ब्लॉकर और सर्जरी (थायरॉयडेक्टमी) का रास्ता अपनाया जा सकता है। इसके साथ-साथ खाने में आयोडीन कम करके, कैफीन का सेवन घटाकर, फल व सब्जियों का सेवन बढ़ाकर और पर्याप्त नींद एवं नियमित व्यायाम जैसे कदम उठाकर भी काफी हद तक इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

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