- आपातकाल स्थिति में मेडिकल कॉलेज से निकासी और सुरक्षा उपायों को लेकर चार सदस्यीय टीम के साथ रैपिड रिस्पांस टीम का गठन
- प्राचार्य डॉ. शाही ने प्रमुख अधीक्षक को अस्पताल में पर्याप्त दवाइयां और व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखने के दिए निर्देश
- साथ ही एसएसपी को समय-समय पर विशेषज्ञ की ओर से मॉक ड्रिल कराए जाने के लिए लिखा पत्र
- प्राचार्य डॉ. शाही ने बताय स्थिति सामान्य होने तक समस्त चिकित्सकीय स्टाफ की छुट्टियां भी रद्द- अभिषेक शर्मा
इस विशेष अभ्यास में फायर का मॉक ड्रिल कराया गया, जिसमें डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। इस ड्रिल के दौरान यह सिखाया गया कि अगर युद्ध जैसी परिस्थिति में अस्पताल पर हमला हो जाए या आग लग जाए, तो मरीजों को सुरक्षित कैसे निकाला जाए और फौरन प्राथमिक चिकित्सा कैसे दी जाए।
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य एवं वरिष्ठ सर्जन डॉ. केदार सिंह शाही ने बताया कि जब तक दोनों देशों के बीच हालात सामान्य नहीं हो जाते, तब तक मेडिकल कॉलेज में इस प्रकार के आपातकाल अभ्यास (मॉक ड्रिल ) समय-समय पर किए जाते रहेंगे। उन्होंने बताया कि यह कदम स्वास्थ्य सेवाओं को युद्धकालीन हालात में भी सतत बनाए रखने की दिशा में अहम है।
उन्होंने बताया कि मेडिकल कॉलेज की छत पर रेड क्रॉस का साइन बड़े स्तर पर बनाया गया है ताकि युद्ध की स्थिति में दुश्मन देश के हमलों से अस्पताल की पहचान सुरक्षित रहे और किसी प्रकार की बमबारी या हमले से इसकी रक्षा हो सके। रेड क्रॉस का यह प्रतीक चिन्ह अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत अस्पतालों को सुरक्षा प्रदान करता है।
प्रशिक्षण के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों को बताया गया कि युद्ध की स्थिति में किस प्रकार सीमित संसाधनों के बीच अधिकतम मरीजों को बचाया जा सकता है। इसके लिए ष्ट्रायाज सिस्टमष् की भी ट्रेनिंग दी गई, जिससे यह तय किया जा सके कि किस मरीज को प्राथमिक इलाज की जरूरत है।
प्राचार्य डॉ. शाही ने बताया कि इस अभ्यास का उद्देश्य केवल तैयारियों की जांच करना ही नहीं बल्कि स्वास्थ्यकर्मियों में आत्मविश्वास पैदा करना भी है, ताकि वे संकट की घड़ी में घबराएं नहीं और प्रोफेशनल तरीके से कार्य करें।