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22 दिन बाद पाकिस्तान से लौटा बीएसएफ जवान पूर्णम तो पत्नी बोली-जब उन्हें देखा तो उन्हें पहचान ही नहीं पाई


पाकिस्तान की हिरासत से बुधवार (14 मई, 2025) को रिहा किए गए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के कांस्टेबल पूर्णम कुमार शॉ की पत्नी रजनी ने उनकी सुरक्षित वापसी कराने के लिए केंद्र सरकार और बीएसएफ के अधिकारियों धन्यवाद किया है. उन्होंने कहा कि 22 दिन बाद जब उन्हें देखा तो उन्हें पहचान ही नहीं पाई.

पूर्णम की पत्नी ने कहा, "मैं आज बहुत खुश हूं. सुबह एक अधिकारी का फोन आया. मेरे पति ने भी मुझे वीडियो कॉल किया. वो शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं. उन्होंने मुझे कहा कि टेंशन मत लो, वो ठीक हैं और 3 बजे फोन करेंगे. जब उन्हें वीडियो कॉलिंग पर देखा तो पहले मैं उन्हें पहचान ही नहीं पाई. उनकी दाढ़ी बढ़ी हुई थी. मैंने 3-4 दिन पहले उनसे (सीएम) बात की थी, उन्होंने मुझे टेंशन मत लो और कहा कि मेरे पति इस हफ्ते वापस आ जाएंगे. वो भी बीएसएफ अधिकारियों से बात कर रही थीं. मुझे सबका समर्थन मिला, पूरा देश मेरे साथ खड़ा था."

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करते हुए कहा, "पीएम मोदी हैं तो सबकुछ संभव है. जब 22 अप्रैल को पहलगाम हमला हुआ तो उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए 15-20 दिन के अंदर सबके 'सुहाग' का बदला ले लिया. 4-5 दिन बाद वो मेरे 'सुहाग' को वापस ले आए. इसलिए मैं हाथ जोड़कर उनका दिल से आभार व्यक्त करना चाहती हूं."

बीएसएफ प्रवक्ता ने बताया कि पाकिस्तान रेंजर्स ने शॉ को बुधवार सुबह 10.30 बजे पंजाब में अटारी-वाघा सीमा पर भारत को सौंप दिया. अधिकारियों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि जवान की मेडिकल जांच की जाएगी उसके बाद ‘काउंसलिंग’ और ‘डिब्रीफिंग’ सत्र होगा जहां बीएसएफ के अधिकारी उनसे 21 दिनों की हिरासत से जुड़े सवाल पूछेंगे.

उन्होंने बताया कि 24वीं बीएसएफ बटालियन के इस जवान को सक्रिय ड्यूटी में शामिल नहीं किया जाएगा और वह बीएसएफ की पंजाब फ्रंटियर की ओर से गठित आधिकारिक जांच में शामिल होंगे, ताकि रेंजर्स के उन्हें पकड़े जाने के क्रम की जांच की जा सके और अगर कोई चूक हुई हो तो उसका पता लगाया जा सके.

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