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सैफनीः नवमी पर घर-घर जिमाए कन्या लांगुरा, मंदिरों में उमड़ी आस्था की भीड़


सैफनी। रविवार को सैफनी नगर व ग्रामीण क्षेत्र में शारदीय नवरात्रि की रामनवमी पर घर-घर कन्या लांगुरा जिमाए गए।नगर समेत विभिन्न गांवों के मंदिरों में भक्तों की आस्था उमड़ पड़ी।शारदीय नवरात्र के समापन पर राम नवमी को सैफनी नगर में माता बेला भवानी मंदिर, शिवालय मंदिर सहित ग्रामीण क्षेत्र में श्रद्धालुओं ने मां सिद्धदात्री की पूजा-अर्चना की। भक्तों ने श्रद्धा के साथ घरों में कन्या लांगुराओं को भोजन कराकर दक्षिणा देकर व्रत खोले।रविवार को भोर की पहली किरण के साथ से ही नगर के प्राचीन माता बेला भवानी मंदिर पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। जगत जननी मां के दर्शन कर भक्तों ने आशीर्वाद लिया और मनोतियां मांगी। इस दौरान मंदिरों में घंटे-घड़ियालों की टंकार और महामाई का जयघोश गूंजता रहा। भक्तों ने हलवा व चने का भोग लगाया। इसके बाद महामाई के भक्तों ने श्रद्धा के साथ घरों में कन्या-लांगुराओं का विधिविधान से पूजन किया। कन्या लांगुराओं को भोजन ग्रहण कराकर उन्हें दक्षिणा एवं उपहार भेंट कर नौ दिन से चले आ रहे अपने व्रत खोले।भक्तों ने बताया कि नौ देवियों के रूप में नवमी के दिन व्रत का परायण करने से पहले नौ कन्याओं का पूजन करना चाहिए। ऐसा शास्त्रों में वर्णन मिलता है। ये नौ कन्याएं नौ देवियों का ही रूप हैं। हर कन्या एक देवी का रूप मानी जाती है। प्रत्येक कन्या का पूजन परोक्ष रुप से एक देवी का पूजन होता है। दो साल की बच्ची कुमारी, तीन साल की त्रिमूर्ति, चार साल की कल्याणी, पांच साल की रोहिणी, छह साल की कालिका, सात साल की चंडिका, आठ साल की शांभवी, नौ साल की दुर्गा और दस साल की सुभद्रा का स्वरूप मानी जाती है।

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