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लखनऊ: पर्यावरण चेतना की वाहक है डॉ. करुणा पांडे की कृति - डा. अनीता


लखनऊ। ष्भारतीय संस्कृति पर्यावरणीय संचेतना और सनातन समरसता को अपनी लेखनी से प्रस्तुत करने वाली समकालीन हिन्दी साहित्य की उर्जावान साहित्यकार है करुणा पांडे द्य उनकी वैविध्यपूर्ण सृजनात्मकता पर प्रखर अभिव्यक्ति जिस कौशल से विषय को सामने लाती है, वह अभिभूत करना है। मुख्य अतिथि डॉ अनीता भटनागर जैन ने यह बात डॉ करुणा पांडे की पुस्तक श्नदियों में भारतीय संस्कृतिष् के लोकार्पण के अवसर पर कही। पुस्तक की समीक्षा करते हुए डॉ. महेश दिवाकर ने इस पुस्तक को अपने समय का दायित्वबोध बताया। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब हमें अपनी प्राकृतिक संपदा का संरक्षण करना होगा और इस तरह के विषय उठाने वाले लोगो को प्रोत्साहित करना होगा द्य अध्यक्ष डॉ पूर्णिमा पांडे ने अपने उद्बोधन में कहा आज पर्यावरण की समस्या केवल भारत की नाहीं विश्व की समस्या बन गयी है। ऐसे समय में करुणा जी ने इस गहन विषय पर अध्ययन करके, उसको संगीत और नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत करके जो दायित्व बोध जगाया यह प्रशंसनीय है। विशिष्ट अतिथि श्री मुकुल सिंघल जी ने कहा आज जब नयी पीढ़ी सनातन संस्कृति और भारतीयता से विमुख होती जा रही है ऐसे में सुन्दर मंचन के द्वारा पुस्तक प्रकाशित होना एक अद्भुत कार्य है मैं इसके लिए करुणा जी की बधाई देता हूँ। सामाजिक तौर पर ऐसे प्रयास पुख्तगी पाने चाहिए । विशिष्ट अतिथि एन. के. एस. चैहान  ने कहा कि ष्नदियों पर गहन अध्ययन करके लिखी करुणा पांडे की पुस्तक लोगों को अपनी संस्कृति में नदियों के महत्त्व को पुनः महसूस करेगी। विशिष्ट अतिथि पवन सिंह चैहान ने अपने संबोधन में कहा कि यह सुन्दर पुस्तक समाज में प्रकृति के प्रति व्याप्त विदूयताओं को दूर करने की ऐसी कुंजी है जो नदियों के अनछुए पहलुओं को रोचकता से नवीन पीढ़ी के मामने लाकर उन्हें मुख्य धारा से जोडती है । हर नदी के जन्म, उसके नाम, और उसके जीवन घटनाओं से जुड़ी कोई ने कोई कहानी होती है। उन कथाओं को स्व रचित स्क्रिप्ट के तथ्यात्मक गीतों से नदी के स्वरुप और उनके जीवन महर को बारीकी से और मनोरंजक तरीके से करुणा जी ने कथक नृत्य की शैली में प्रस्तुत करके यह समझाने की कोशिश की है।  जैसे संगीत का सबसे रसपूर्ण पक्ष नृत्य है उसी तरह जीवन का उल्लास और आधार नदियों में ही है। इस नाटिका का संगीत निर्देशन कमलाकांत जी ने किया। गायन आशा श्रीवास्तव ने किया । नृत्य निर्देशन श्रीमती रेणु शर्मा ने किया और इसको नदियों का रूप धारण करने वाले सभी कबक के छात्र छात्राएं थी । शहर के अनेक गणमान्य लोगों ने इस कार्यक्रम का आनंद लिया ।

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