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पश्चिम बंगाल में नौकरी जाने और पुलिस के लाठीचार्ज के खिलाफ शिक्षकों ने शुरू की भूख हड़ताल


सुप्रीम कोर्ट की ओर से पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को “दोषपूर्ण और भ्रष्ट” करार देने के फैसले के बाद नौकरी गंवाने वाले कुछ शिक्षकों ने गुरुवार (10 अप्रैल,2025) को स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के कार्यालय के बाहर भूख हड़ताल शुरू कर दी. प्रदर्शनकारियों में शामिल होकर, भाजपा सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय ने प्रदर्शनकारियों की दुर्दशा के लिए राज्य प्रशासन और उसकी शाखाओं को दोषी ठहराया. वह कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश हैं.

नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों ने कहा कि वे बुधवार (9 अप्रैल,2025) को दक्षिण कोलकाता के कस्बा स्थित जिला निरीक्षक (डीआई) कार्यालय में उनके सहयोगियों के खिलाफ हुई पुलिस कार्रवाई का भी विरोध कर रहे थे. प्रदर्शनकारियों में से एक ने साल्ट लेक में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) कार्यालय के बाहर संवाददाताओं से कहा, “हमने एक शिक्षक के साथ भूख हड़ताल शुरू की है और जल्द ही इस मुद्दे पर आगे का कार्यक्रम तय करेंगे.”

प्रदर्शनकारी शिक्षक बुधवार रात से एसएससी कार्यालय के 'आचार्य सदन' भवन के बाहर धरना दे रहे हैं. वे नौकरी जाने और अपने साथियों पर पुलिस कार्रवाई के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि कसबा के डीआई कार्यालय के बाहर प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने उनपर लाठीचार्ज किया, धक्का-मुक्की की और कुछ को लात भी मारी.

गंगोपाध्याय ने कहा कि बुधवार को कस्बा में हुए प्रदर्शन को लेकर पुलिस ने प्रदर्शनकारी शिक्षकों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, लेकिन ऐसा नहीं किया जाना चाहिए था. भाजपा सांसद ने संवाददाताओं से कहा, 'दूसरों के अवैध कृत्यों के कारण अपनी नौकरी गंवाने वाले निर्दोष शिक्षकों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं.'

उन्होंने कहा कि वह पुलिस कार्रवाई के विरोध में बुधवार को शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु से मिलने नहीं गए थे, लेकिन भाजपा नेतृत्व उनके निर्णय में उनके साथ है. गंगोपाध्याय ने कहा कि वह पूर्व राज्यसभा सांसद रूपा गांगुली के साथ आचार्य सदन स्थित धरना स्थल पर नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों के प्रति एकजुटता व्यक्त करने आए थे.

कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में गंगोपाध्याय ने नवंबर 2021 में भर्ती प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच का आदेश दिया था. उन्होंने भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताएं पाए जाने के बाद पश्चिम बंगाल के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की 25,000 से अधिक नौकरियों को समाप्त करने का भी आदेश दिया था. इस आदेश को हाई कोर्ट की खंडपीठ और उसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने भी बरकरार रखा.

सुप्रीम कोर्ट ने तीन अप्रैल को कलकत्ता हाई कोर्ट के वर्ष 2024 के उस फैसले को बरकरार रखा था जिसमें 2016 में एसएससी द्वारा की गई भर्ती प्रक्रिया के तहत नियुक्त किए गए 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती को रद्द कर दिया गया था. न्यायालय ने पूरी चयन प्रक्रिया को “दोषपूर्ण और भ्रष्ट” करार दिया था.

नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों का कहना है कि उनकी इस स्थिति के लिए आयोग जिम्मेदार है, क्योंकि उसने यह फर्क नहीं किया कि किस अभ्यर्थी ने फर्जी तरीके से नौकरी हासिल की और किसने नहीं. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और कुछ अन्य लोगों को गिरफ्तार किया है, जो भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं के समय राज्य के एसएससी में जिम्मेदार पदों पर कार्यरत थे

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