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प्रतापगढः विश्व लिवर दिवसः आयुर्वेदिक आहार विहार से लिवर रखें तंदुरुस्त


प्रतापगढ़/प्रयागराज। हिंदी फिल्मों के गानें हों या फिर कवयिों की कविताएं, जतिनी इज्जत दलि को दी गई है उतनी ही अहमियत जगिर यानी लविर की भी है। लेकिन हमारी खराब होती जीवनशैली और बिगड़े खानपान ने दलि और जगिर दोनों को ही खतरे में डाला है। लिवर शरीर का महत्वपूर्ण अंग है जिसका कार्य शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना, पाचन क्रिया को सक्रिय रखना, मेटाबोलीज्म का रेगुलेशन, कॉलेस्ट्राल का नियंत्रण है। इसके बावजूद हम लिवर के हेल्थ को दरकिनार करते हैं। लिवर की बीमारी कई कारणों से हो सकती है जिनमें जनेटिक कारणों के अलावा शराब का सेवन, वजन बढ़ना, दवाओं का दुष्प्रभाव, तनाव, खानपान की अनियमितता से रिस्क बढ़ जाता है ।

विश्व लिवर दिवस 2025 की थीम है भोजन ही औषधि है। हमारा स्वास्थ्य हमारे आहार पर निर्भर करता है। हमारी सेहत का राज खानपान ही है। ज्यादा मीठा, तला भुना भोजन, शराब का अधिक सेवन, धूम्रपान, वसा युक्त खाद्य पदार्थ, हाई फैट वाले खाद्य पदार्थ जैसे मक्खन, घी, पनीर, लाल मांस लिवर पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं। इसके अलावा फास्ट फूड, जंक फूड, सफेद ब्रेड भी हानिकारक हैं। रसायनों एवं कीट नाशकों से उगाए गये खाद्य पदार्थों से बचना बेहतर है। स्वस्थ रहने के लिए कम कैलोरी वाला आहार, ताजे फल और आर्गेनिक सब्जियाँ साबुत अनाज, प्रोटीन एवं विटामिन से भरपूर आहार लेना चाहिए। लिवर को स्वस्थ रखने के लिए शराब का सेवन करने से बचे, वजन नियंत्रित रखें, अन्हेल्दी फूड से बचें साथ ही नियमित योग प्राणायाम करें व रेगुलर चेकअप कराते रहें। कुछ महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक वन औषधियाँ जैसे कुटकी, पुनर्नवा, भुईआँवला, कालमेघ, आँवला लिवर को स्वस्थ रखने मे प्रभावी हैं। लगातार थकान, भूख न लगना, पेट के दाहिने हिस्से मे दर्द, वजन बढ़ना, ये फैटी लिवर के लक्षण हो सकते हैं जिसके लिए समय रहते डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है।

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