- अयोग्य डॉक्टर और असुविधाओं के चल रहे अस्पताल
- सीजर और ऑपरेशन तक हो रहे फर्जीवाड़े के सहारे, विभागीय मिलीभगत पर सवाल
कई अस्पताल आयुर्वेदिक, यूनानी या सिर्फ फार्मासिस्ट डिग्रीधारकों द्वारा संचालित हो रहे हैं, जिन्होंने किसी एमबीबीएस डॉक्टर की डिग्री पर पंजीकरण करा रखा है। चैंकाने वाली बात यह है कि कुछ मामलों में तो एमबीबीएस डॉक्टर को खुद भी नहीं पता कि उनकी डिग्री का इस तरह दुरुपयोग हो रहा है।
इन अस्पतालों के बोर्डों पर खुद को एमडी दर्शाकर आम लोगों को ठगा जा रहा है। डिलीवरी के नाम पर 25 से 40 हजार रुपये तक की वसूली हो रही है, जबकि गंभीर मरीजों की देखरेख भी अपात्र स्टाफ के भरोसे की जा रही है। नतीजाकृअक्सर मरीजों की हालत बिगड़ जाती है या कभी-कभी जान तक चली जाती है।
सबसे हैरानी की बात यह है कि इन झोलाछाप अस्पतालों में सीजर और अन्य गंभीर ऑपरेशन भी कराए जा रहे हैं। कभी ऑनलाइन डॉक्टर की बात कही जाती है तो कभी “कहीं से बुलवाया गया” कहकर मरीजों को झांसे में डाला जाता है, जबकि सच्चाई यह है कि ये जानलेवा प्रयोग मैदान बन चुके हैं।
दिलोना मोड़ स्थित सुशीला हॉस्पिटल, थोरथिया, मुरारपुर मोड़, दरियाबाद, टिकैतनगर सहित कई क्षेत्रों में ऐसे अस्पताल खुलकर संचालित हो रहे हैं। कुछ चिकित्सकों के नाम पर पंजीकृत अस्पतालों के बारे में जब उनसे पूछा गया तो उन्हें खुद जानकारी नहीं थी कि उनके नाम से कोई अस्पताल चल रहा है।
स्थानीय बुद्धिजीवियों ने विभागीय अधिकारियों पर इन फर्जी अस्पतालों को संरक्षण देने का गंभीर आरोप लगाया है। सवाल उठता है कि बिना मिलीभगत के इतने बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा कैसे संभव है?
हालांकि, मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा.अवधेश यादव ने ऐसे सभी निजी अस्पतालों की जांच कर फर्जी संचालकों पर कार्रवाई का भरोसा दिया है, लेकिन जब तक कार्रवाई जमीनी स्तर पर नहीं दिखेगी, यह भरोसा भी लोगों के लिए खोखला साबित होगा।