सफाई व्यवस्था ध्वस्त, बच्चों पर टूटा बीमारी का कहर, स्वास्थ्य विभाग की टीम ने की जांच, दिया परामर्शसिरौलीगौसपुर/बाराबंकी। विकास की बात करने वाले जिम्मेदारों को शायद गांवों की जमीनी हकीकत नहीं दिखती। सिरौलीगौसपुर विकासखंड की ग्राम पंचायत डूडी में गंदगी ने चेचक जैसी खतरनाक बीमारी को न्योता दे दिया है। बीते दो सप्ताह से गांव में चेचक का प्रकोप फैला हुआ है और अब तक 20 से अधिक ग्रामीण इसकी चपेट में आ चुके हैं, जिनमें अधिकतर मासूम बच्चे हैं।
बुखार, आंखों की लाली और शरीर पर फफोलों से जूझ रहे बच्चों की हालत देख गांव का हर घर चिंतित है। गौरी (7), काजल (6), सलोनी (5), अमिता (13), शिवानी (4) समेत रमन, सोनी, लकी, अंजलि, ललित, अनिल और दिव्यांश जैसे मासूम इससे पीड़ित हैं, लेकिन ग्राम पंचायत और स्वच्छता व्यवस्था की जिम्मेदारी उठाने वालों की आंखें अब भी बन्द है।
गुरुवार को सीएचओ की सूचना पर सीएचसी अधीक्षक डॉ. संतोष सिंह के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव पहुंची। डॉ. देवेंद्र सिंह, डॉ. देव प्रताप सिंह, अभय सिंह, फार्मासिस्ट अमित दुआ, बीसीपीएम शैलेश रावत व आशा कार्यकर्ताओं ने गांव में पहुंचकर घर-घर मरीजों की जांच की और दवाएं वितरित कीं।
डॉक्टरों के अनुसार, मौसम में बदलाव के साथ गांव में फैली गंदगी इस बीमारी की प्रमुख वजह है। टीम ने सभी संक्रमितों को दवाएं दीं और साफ-सफाई रखने का परामर्श दिया, लेकिन सवाल है कि जब तक पंचायत स्तर पर सफाई की ठोस व्यवस्था नहीं होगी, तब तक इन बीमारियों का इलाज दवा नहीं, व्यवस्था का बदलाव होगा।
सीएचसी अधीक्षक डॉ. संतोष सिंह ने बताया कि सूचना मिलते ही टीम गांव भेजी गई थी। सभी मरीजों का परीक्षण कर दवाएं दी गई हैं। टीम को निर्देशित किया गया है कि मरीजों पर सतत निगरानी रखी जाए।
गांव में चेचक जैसी बीमारी का फैलना स्वास्थ्य संकट से कहीं अधिक प्रशासनिक असफलता का उदाहरण है। क्या ग्राम पंचायत और स्थानीय प्रशासन सिर्फ बीमारी फैलने के बाद हरकत में आएगा, या कभी समय रहते कदम भी उठाए जाएंगे?।