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हिंदुत्व का बाजार लगाए बैठी है भाजपा-संजय राउत


वक्फ संशोधन बिल संसद में पास हो गया. राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मु ने इस बिल पर शनिवार (5 अप्रैल) को हस्क्षातर कर दिए हैं, जिसके बाद इस विधेयक ने कानून का रूप ले लिया. वक्फ बिल को लेकर शिवसेना यूबीटी सांसद संजय राउत ने 'सामना' में एक लेख लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा कि इस बिल का हिंदुत्व से कोई संबंध नहीं है. कुछ लोगों ने वैसा संबंध जोड़ने का प्रयास किया, वो निरर्थक है. हिंदुत्व के मुद्दे पर अनावश्यक निरर्थक काम होने की बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने जाहिर की है. संघ के अगले कदम महत्वपूर्ण नजर आ रहे हैं. लगता है इनका अगला लक्ष्य काशी, मथुरा और दिल्ली है!

संजय राउत ने कहा, 'वक्फ संशोधन विधेयक संसद में पास हो गया. जो इस विधेयक का समर्थन नहीं करेंगे, वह वैसे हिंदुत्ववादी... ऐसा कहकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने चुटकी ली है. उनका निशाना उद्धव ठाकरे की शिवसेना की ओर था. वक्फ संशोधन विधेयक का हिंदुत्व से क्या संबंध है? मुसलमानों की संपत्ति पर सरकारी नियंत्रण लाने के लिए मोदी सरकार ने यह विधेयक लेकर आई है. यह सीधे तौर पर प्रॉपर्टी वॉर है. इसमें हिंदू-मुसलमान का मुद्दा कहां है?'

उन्होंने कहा, 'वक्फ बोर्ड के पास लगभग सवा दो लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है, जिसमें मौके की जमीनें हैं. 2010 में लालू यादव ने कहा था कि वक्फ बोर्ड सरकारी जमीनों पर कब्जा कर रहा है. वक्फ के खिलाफ सख्त कानून बनाना चाहिए. तब मनमोहन सिंह की सरकार थी. अब मोदी-शाह की है. इस सरकार ने यह बिल लाकर हमेशा की तरह हिंदू-मुस्लिम का खेल खेला है. जगह-जगह हिंदू-मुसलमानों के बीच नफरत भड़काना और फिर अपना काम साध लेना. वक्फ के जरिए जमीन हड़पने वाले पहले और लोग थे, अब और लोग हैं. भाजपा ने यह विधेयक वक्फ की इफरात संपत्ति को देखते हुए लाया है. समाज सुधार, जनसेवा, गरीब मुसलमानों का हित वगैरह झूठ है!'

संजय राउत ने कहा, 'भाजपा और उसके लोग हिंदुत्व का बाजार लगाए बैठे हैं. उस बाजार में औरंगजेब से लेकर अफजल खान तक सब कुछ है. राम मंदिर, हिंदुत्व की तीखी आलोचना करने वाले नीतीश कुमार, पासवान उस बाजार में मौजूद हैं. भाजपा के हिंदुत्व का झंडा आज वे फहरा रहे हैं. उनके ढोंग कई बार बेनकाब हो चुके हैं. इस परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका अधिक पारदर्शी और निर्णायक प्रतीत होती है. भाजपा के धर्मभ्रष्टों ने औरंगजेब की कब्र को तोड़ने के लिए अपनी छाती पीट ली. औरंगजेब को कब्र से बाहर निकाले बगैर हिंदुत्व का तेज नहीं चमकेगा, ऐसा जिन्हें लगता है, उनका दिमाग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने ठिकाने पर ला दिया है.'

संघ के पूर्व मुख्य कार्यवाह ने कहा, ‘औरंगजेब की कब्र खोदने की जरूरत क्या है? ये हिंदुत्व नहीं है. औरंगजेब की मौत महाराष्ट्र में हुई इसलिए उसकी कब्र महाराष्ट्र में है. औरंगजेब की कब्र कोई संघ का एजेंडा नहीं है.’ इस भूमिका ने खुद देवेंद्र फडणवीस को बेनकाब कर दिया है. उन्हें अपने मंत्रियों को समय पर रोकना चाहिए था. फडणवीस लोगों का इस्तेमाल करते हैं और छोड़ देते हैं. इसका अनुभव बहुत से लोगों को है. हिंदू धर्म के विषय पर भ्रम की तस्वीर उभरी.

अशोक सिंघल के बाद विश्व हिंदू परिषद (विहिप) दिशाहीन हो गई और अयोध्या में राम मंदिर बनने से ऐसा लगने लगा कि विहिप के पास कोई काम ही नहीं बचा. बजरंग दल का हाल शिंदे गुट जैसा हो गया है. ऐसे में हमें हिंदुत्व के बाबत मार्गदर्शक के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका को देखना होगा. भाजपा का हिंदुत्व आधारहीन और व्यापारिक पद्धति का है और वो ऊपरी है. संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने हिंदुत्व के कार्यक्रम की घोषणा की, लेकिन वक्फ बोर्ड के नए विधेयक पर कुछ नहीं कहा, लेकिन होसबाले ने जो विचार प्रस्तुत किए वो महत्वपूर्ण हैं.

होसबोले ने कहा, ‘धर्मांतरण, गोहत्या और लव जिहाद की चुनौतियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.’ अयोध्या आंदोलन के दौरान विहिप और हमारे धर्मगुरुओं ने तीन मंदिरों पर भाष्य किया था. वाराणसी में विश्वनाथ मंदिर और मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि. स्वयंसेवकों ने अगर इन मंदिरों से संबंधित कोई प्रयास और काम शुरू किया तो संघ उन्हें रोकेगा नहीं. मुस्लिम आक्रांताओं ने मथुरा में श्री कृष्ण मंदिर और वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर पर हमला किया. उन्हें ध्वस्त किया और उस पर मस्जिद बना दी. होसबोले ने बिना किसी लागलपेट के यह भूमिका प्रस्तुत की. यह बहुत संयमी है, लेकिन होसबाले ने आगे जो कहा वह महत्वपूर्ण है. 'अब मस्जिदों को खोदकर मंदिर खोजने का जो प्रयास किया जा रहा है, वो निरर्थक है. अतीत के गड्ढे खोदने से क्या हासिल होगा?'

संजय राउत ने लिखा, 'महत्वपूर्ण बात यह है कि आप कितनी मस्जिदों और प्राचीन इमारतों की खुदाई करेंगे? 30,000 मस्जिदें हैं. उन्हें खोदेंगे? इतिहास बदलने के लिए यह प्रयोग क्यों? इतिहास को कितना पीछे ले जाओगे? समाज में वैमनस्य और आक्रोश बढ़ा तो महत्वपूर्ण कार्यों से ध्यान भटक जाएगा. भूतकाल में उलझने से नहीं चलेगा.' होसबाले द्वारा पेश किए गए रुख पर भाजपा के अधर्मियों को चिंतन करना चाहिए. दरअसल, संघ को इन सभी धर्मभ्रष्टों के लिए एक चिंतन शिविर आयोजित करना चाहिए, तभी हिंदुत्व और राष्ट्रवाद साथ-साथ आगे बढ़ पाएंगे.

राउत ने कहा, 'संघ का हिंदुत्व के मुद्दे पर स्पष्ट रुख अपनाना स्वाभाविक है. संघ स्वयंसेवकों की फौज मैदान में उतरती है इसलिए भाजपा चुनाव जीतती है. पैसों की ताकत मुगल आक्रमण की तरह है. संघ को यह मुगलिया आक्रमण रोककर भाजपा का शुद्धीकरण करना चाहिए और ऐसा लगता है कि उन्होंने इसकी शुरुआत पाडवा के मुहूर्त पर कर दी है. गुढी पाडवा पर प्रधानमंत्री मोदी नागपुर पहुंचे और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय में गए. उन्होंने मुख्यालय जाकर सरसंघचालक मोहन भागवत से चर्चा की. यह मामला उतना सरल नहीं है, जितना लगता है और यह भविष्य के राजनीतिक घटनाक्रमों का मार्गदर्शक है. संघ ने मोदी के बेलगाम घोड़े की लगाम को कसने का काम किया है. यह कहना गलत है कि मोदी इतने ताकतवर हो गए हैं कि संघ के पास उनसे लड़ने की ताकत नहीं है. संघ को ईडी, सीबीआई, पुलिस का भय नहीं है. इसलिए संघ, एक विशाल संस्था मोदी से नहीं डरेगी. बिना किसी विवाद के चुपचाप रक्तहीन परिवर्तन लाने का सामर्थ्य संघ में है और उसके दर्शन कई बार हुए हैं.'

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