रामनगर/बाराबंकी। घाघरा नदी पर स्थित रामनगर का संजय सेतु शुक्रवार को फिर एक बार राहगीरों के लिए मुसीबत बन गया। पुल के ज्वाइंटों की मरम्मत के नाम पर जैसे ही कार्य शुरू हुआ, करीब एक किलोमीटर लंबा जाम लग गया, जो संजय सेतु से लेकर चैकाघाट तक फैल गया। कई घंटे तक फंसे लोग गर्मी और धूप में बेहाल रहे, लेकिन जिम्मेदारों की ओर से कोई पूर्व सूचना या वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई थी। यह वही पुल है, जिसकी जर्जर स्थिति को विधान केसरी ने 17 अप्रेल के अंक मे इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद भले ही मरम्मत का कार्य शुरू हुआ, लेकिन बिना किसी ट्रैफिक प्लानिंग के शुरू की गई यह कवायद खुद लोगों के लिए आफत बन गई। सवाल यह है कि क्या विभाग को पहले से इस जाम की आशंका नहीं थी? क्या आमजन की सहूलियत के लिए कोई प्लान तैयार नहीं किया गया?
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कोई पहली बार नहीं है जब मरम्मत के नाम पर खानापूर्ति की गई हो। इससे पहले भी सेतु की मरम्मत कराई गई थी, लेकिन कुछ महीनों में ही ज्वाइंट फिर उखड़ गए। अब फिर से काम शुरू है, लेकिन उसी लापरवाह अंदाज में।
जानकारी के अनुसार, एनएचएआई द्वारा संजय सेतु के बगल में एक नए पुल के निर्माण हेतु बजट पास हो चुका है, लेकिन वर्षों से यह कार्य सिर्फ फाइलों में अटका पड़ा है। यदि समय रहते निर्माण शुरू होता, तो जनता को बार-बार इस मुसीबत का सामना न करना पड़ता।
जाम की सूचना मिलते ही रामनगर थाना प्रभारी अनिल कुमार पांडे और उनकी टीम मौके पर पहुंची और जाम को नियंत्रित करने के प्रयास शुरू किए। ट्रैफिक इंस्पेक्टर प्रमोद कुमार यादव ने बताया कि पुल की मरम्मत से यातायात प्रभावित हुआ है, लिहाजा ट्रैफिक आरक्षी नरेंद्र कुमार को विशेष तौर पर सेतु पर तैनात किया गया है।
स्थानीय नागरिकों का साफ कहना है कि जब तक नया पुल नहीं बनेगा, यह मरम्मत सिर्फ श्लीपापोतीश् बनकर रह जाएगी। जनता अब थक चुकी है। शासन को चाहिए कि वह पुल निर्माण कार्य को तत्काल शुरू कराए, वरना आंदोलन की राह अपनाई जाएगी।