नालों की सफाई में देरी से एनजीटी नाराज, मुख्य सचिव और कमिश्नर को किया तलब
April 12, 2025
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने दिल्ली में नालों की सफाई (डेसिल्टिंग) कार्य में हुई देरी और अनियमितताओं को लेकर गंभीर नाराजगी जताते हुए दिल्ली के मुख्य सचिव और नगर निगम के कमिश्नर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया. एनजीटी ने मानसून से पहले नालों की सफाई पूरी न कर पाने के जोखिम और पिछले साल हुए जलभराव की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए यह कड़ा कदम उठाया है.
एनजीटी ने कहा कि दिल्ली सरकार के सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग ने दावा किया था कि 22 नालों की सफाई 31 मई तक पूरी कर ली जाएगी, लेकिन अब तक कोई प्रगति नहीं हुई है. विशेष रूप से साउथ दिल्ली के कुशक और सुनहरी पुल नाले के ढंके हिस्सों की सफाई को लेकर एमसीडी और विभाग के बीच जिम्मेदारी का टकराव बना हुआ है. एनजीटी ने कहा कि मानसून नजदीक है, लेकिन सिविक एजेंसी को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है. यह लापरवाही नागरिकों के लिए गंभीर समस्या पैदा कर सकती है.
एनजीटी को दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि 7 मार्च को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में एमसीडी ने नालों की सफाई की जिम्मेदारी ली थी और सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के साथ एक संयुक्त समिति भी गठित की गई थी. हालांकि एनजीटी ने कहा कि इसके बाद भी कार्य शुरू नहीं हुआ है. कुशक नाले के बॉक्स हिस्से की सफाई के लिए एमसीडी ने अभी तक ठेकेदारों का चयन भी नहीं किया है.
एक याचिकाकर्ता के वकील ने एनजीटी को बताया कि डिफेंस कॉलोनी में नाले के ढंके हिस्से की सफाई नहीं की गई, जिससे पिछले मानसून में वहां भीषण जलभराव हुआ और निवासियों को परेशानी झेलनी पड़ी. इस पर पीठ ने एमसीडी की कार्रवाई को निष्क्रियता बताते हुए त्वरित कदम उठाने का निर्देश दिया.
एनजीटी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए डिफेंस कॉलोनी इलाके का निरीक्षण करने के लिए एक कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया है. कमिश्नर को निर्देश दिया गया है कि वह पांच दिनों के भीतर सफाई की वास्तविक स्थिति की रिपोर्ट पेश करे. मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होगी, जिसमें मुख्य सचिव और एमसीडी आयुक्त को हाजिर होना अनिवार्य होगा. एनजीटी ने चेतावनी देते हुए कहा यदि नालों की सफाई में कोताही बरती गई तो इससे न केवल जलभराव बल्कि पर्यावरणीय नुकसान का भी खतरा है. अधिकारी इसके लिए जवाबदेह होंगे.