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यासीन मलिक की वीडियो काॉन्फ्रेंसिंग से होगी जम्मू कोर्ट में पेशी


सुप्रीम कोर्ट ने आतंकी यासीन मलिक की जम्मू कोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग से पेशी की अनुमति दे दी है. इससे 35 साल पुराने रुबिया सईद अपहरण और वायु सेना के 4 अधिकारियों की हत्या से जुड़े मुकदमों में तेजी आएगी. अपनी पैरवी के लिए ऑनलाइन पेश हुए यासीन ने कहा कि वह आतंकी नहीं, राजनीतिक नेता है.

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने यासीन की दलील को निरर्थक बताया. जस्टिस ओका ने कहा, 'हम इस बात पर सुनवाई नहीं कर रहे कि आप आतंकी हैं या राजनीतिक नेता.' इस पर यासीन मलिक ने कहा कि वह भारत के 7 प्रधानमंत्रियों- वी पी सिंह, चंद्रशेखर, पी वी नरसिंह राव, एच डी देवगौड़ा, आई के गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह को शांति प्रयासों में सहयोग कर चुका है.

जज इन दलीलों से प्रभावित नहीं हुए. उन्होंने कहा कि नियमों के मुताबिक वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेशी और गवाहों का क्रॉस एग्जामिनेशन संभव है. तिहाड़ जेल और जम्मू कोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग की उचित सुविधा उपलब्ध है इसलिए, यासीन मलिक को ऑनलाइन मोड में ही जम्मू कोर्ट में पेश किया जाए. अगर कोर्ट के जज को कभी लगे कि कार्रवाई में तकनीकी दिक्कत आ रही है, तो वह दिक्कत दूर होने तक सुनवाई रोक सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट में यह मामला 2022 से लंबित था. तब सीबीआई ने जम्मू की विशेष टाडा कोर्ट के उन आदेशों को चुनौती दी थी, जिनमें 2 अलग-अलग मामलों में यासीन मलिक को व्यक्तिगत रूप से पेश करने के लिए कहा गया था. सीबीआई ने अपनी याचिका में कहा था कि दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद मलिक को सुरक्षा कारणों से जम्मू नहीं ले जाया जा सकता.

पिछली सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि यासीन मलिक कोई साधारण आतंकवादी नहीं है. उसके पाकिस्तान में बड़े संपर्क हैं. तुषार मेहता ने यह भी कहा था कि यह मामला ऐसा नहीं है, जिसमें कानून की किताबों में लिखी सारी बातों का हूबहू पालन किया जाए.

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