लखनऊ। यू तो रोज ही राजधानी को स्मार्ट सिटी बनाने का दावा किया जाता है और प्रदेश को भले ही नंबर वन के खिताब से नवाजा जा चुका हो परन्तु कागजो पर गढ़े गये कसीदो की इबारत गंदे पानी की आपूर्ती मे मिट सी गई है। सरकारी आंकड़ो से जरा निगाहे हटाइये तो जरा, जमीनी स्तर पर नगर निगम व जलकर विभाग के कारनामो से नगरवासियी को गंभीर रोगो का डर सता रहा है। कहते है न जब
बादशाह कमजोर हो तो सैनिक क्या कर सकते हैं?ष् यह कहावत इन दिनों जलकल विभाग जोन- 5 पर पूरी तरह से फिट बैठती है। ब्रह्म नगर और मानक नगर के लोग लगातार गंदे और बदबूदार पानी की समस्या से जूझ रहे हैं।कल जब इस समस्या को प्रमुखता से उजागर किया गया, तो उम्मीद जगी थी कि शायद जिम्मेदारों की नींद टूटेगी। लेकिन जलकल विभाग की श्दरबारगिरीश् में सुधार का कोई आदेश अब तक जारी नहीं हुआ।जोन- 5 के जूनियर इंजीनियर दीपक त्रिपाठी ने सिर्फ इतना किया कि परेशान उपभोक्ता आकाश को फोन पर आश्वासन दे दियाकृ“जल्द ही साफ पानी की सप्लाई शुरू हो जाएगी।” लेकिन वो श्जल्दश् कब आएगा, यह शायद खुद विभाग भी नहीं जानता।असल परेशानी तो ये है कि जब जलकल विभाग के श्बादशाहश् यानी महाप्रबंधक कुलदीप सिंह के पास ही 15वें वित्त आयोग के हथियार नहीं पहुंचे, तो सैनिक यानी इंजीनियर और कर्मचारी आखिर कैसे श्जल युद्धश् लड़ेंगे?इस ‘बादशाही’ का आलम यह है कि जनता बदबूदार पानी पीने पर मजबूर है, और अधिकारी आश्वासनों की तलवार से समस्या का ‘सर कलम’ करने में लगे हैं।स्थानीय लोगों का सवाल हैकृ“अगर राजा ही बेबस है तो प्रजा किससे उम्मीद लगाए? अब देखना यह है कि जलकल विभाग का यह श्जल संकटश् कब खत्म होगा या फिर ब्रह्म नगर और मानक नगर के लोग यूं ही गंदे पानी के समुंदर में डूबते रहेंगे।