लखनऊ। राजधानी लखनऊ में बड़े ही हैरत की बात सुनने में आई हैए जहां पुलिस के मुताबिक सड़क पर लगे सीसीटीवी कैमरा पहचान करने में मददगार नहीं होते। इसका मतलब है सड़क पर लगे कैमरा ठीक नहीं है। कई चलते नहीं है और बाकी बेकार हैं।
पुलिस के मुताबिक सड़क पर ज्यादातर कैमरों का फोकस या लेंस खराब है। तभी तो एक हमला जो कि सड़क दुर्घटना का नाम दिया गया हैए में एक महीने से ऊपर हो गया है और जिस गाड़ी ने वादी की गाड़ी को ठोकर मारी थीए उसे गाड़ी की पहचान नहीं हो पाई है। नंबर नहीं पता चल पा रहा हैए गाड़ी दिखती भी है और गायब भी हो जाती है।
पुलिस के मुताबिक सड़क पर लगे सीसीटीवी कैमरा गाड़ी की पहचान नहीं कर पा रहे। यानी आज तक कोई भी आपराधिक मामले में कोई अपराधी हो या घटना में प्रयुक्त वाहन होए किसी की भी पहचान करना संभव थाए पर पुलिस ने जितने भी मामले निपटाए हैंए वह सीसीटीवी कैमरा से तो अब नहीं निपटाए होंगे और मुखबिर इतने शातिर नहीं होते हैं कि मामले की बारीकी तक पहुंचा दें।
यानी जितने भी भी खुलासे हुएए उसमें कैमरे की मदद से अब तक कोई भी परिणाम नहीं निकला होगाए या तो कहें 6जी सेंस या सिर्फ और सिर्फ सर्विलांस ही मददगार साबित हुआ हैए यानी पुलिस का किरदार संदिग्ध हुआ। तो पुलिस के मुताबिक ही हम कह सकते हैं सड़क पर लगे कैमरे तो एक खिलौने के बराबर हो गए हैंए फिर बजट कहां गया।
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