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रूद्रपुर: मेट्रोपोलिस सोसायटी को लेकर हाईकोर्ट का अहम फैसला! कोर्ट ने खारिज खारिज की विक्रांत फुटेला की याचिका


रूद्रपुर। मेट्रोपोलिस रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (एमआरडब्लूए) के उपनियमों और चुनाव प्रणाली को लेकर चल रहे लंबे विवाद पर हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष विक्रांत फुटेला की रिट याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि केवल 100 सदस्यों की सीमा तय कर चुनाव कराना पूर्णतः गलत और नियमविरुद्ध है। अदालत ने इस मामले में पूर्व में जारी अंतरिम आदेश को भी निरस्त कर दिया है। इस फैसले के बाद मेट्रोपोलिस सिटी के सभी वाशिंदों के लिए एसोसिएशन की सदस्यता का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है।

मेट्रोपोलिस सिटी में 1600 से अधिक घर हैं और उपनियमों के अनुसार प्रत्येक गृहस्वामी एसोसिएशन का सदस्य बनने का हकदार है, लेकिन लंबे समय से एसोसिएशन में केवल 100 सदस्यों तक ही सदस्यता सीमित कर दी जाती थी। इसी सीमित सदस्यता के आधार पर चुनाव करवाए जाते थे, जिससे बड़ी संख्या में निवासी खुद को उपेक्षित और अधिकारों से वंचित महसूस कर रहे थे। कॉलोनीवासियों ने बार-बार सभी पात्र लोगों को सदस्य बनाने और चुनाव को नियमों के अनुरूप कराने की मांग भी उठाई, लेकिन एसोसिएशन पदाधिकारियों की उदासीनता के चलते यह विवाद लगातार बढ़ता गया।

निवासियों की शिकायत के बाद रजिस्ट्रार फर्म्स, सोसाइटीज और चिट्स देहरादून ने जांच की और स्पष्ट कहा कि एसोसिएशन का गठन और चुनाव प्रक्रिया उपनियमों के अनुरूप नहीं है। रजिस्ट्रार ने निर्देश दिए कि उपनियमों में संशोधन कर सदस्यता सीमा हटाई जाए, सभी गृहस्वामियों को सदस्यता दी जाए और पूर्ण सदस्यता बहाली के बाद ही चुनाव कराए जाएं।

इन्हीं निर्देशों को चुनौती देते हुए विक्रांत फुटेला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। पहले कोर्ट ने रजिस्ट्रार के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी, लेकिन विस्तृत सुनवाई के दौरान तथ्यों और साक्ष्यों का परीक्षण करने के बाद माननीय न्यायालय ने न केवल याचिका को खारिज किया बल्कि अंतरिम रोक भी वापस ले ली। हाईकोर्ट ने माना कि एमआडब्लूए के चुनाव विधिक प्रावधानों और उपनियमों के अनुरूप नहीं कराए जा रहे थे।

अदालत के इस महत्वपूर्ण फैसले के बाद अब मेट्रोपोलिस सिटी के सभी निवासियों का एमआरडब्लूए में सदस्य बनने का रास्ता साफ हो गया है। अब ये सभी लोग भविष्य के चुनावों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकेंगे। हाईकोर्ट के निर्णय से कॉलोनीवासियों में राहत और खुशी की लहर है । उम्मीद जताई जा रही है कि अब एसोसिएशन का गठन और संचालन पारदर्शी और निष्पक्षता के साथ हो पायेगा।।

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