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लखनऊः सन्त गाडगे परिनिर्वाण दिवस पर कार्यक्रम


लखनऊ। सन्त गाडगे परिनिर्वाण दिवस पर कार्यक्रम डॉक्टर भीम राव आंबेडकर मूर्ति पार्क राजा खेड़ा चमियानी, तहसील पुरवा उन्नाव में आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री आलोपी प्रसाद वर्मा पूर्व सदस्य जिला पंचायत ने किया। प्रमुख वक्ताओं में श्री राम कुमार गौतम पी सी.एस.रिटायर्ड, श्री जीत लाल सैनी पी. सी. एस. रिटायर्ड, राम लगन सिंह यादव पूर्व डिप्टी कमिश्नर वाणिज्य रिटायर्ड, ओम प्रकाश, अमर नाथ (उपज)। भूखे को भोजन दो, प्यासे को पानी दो, बेघर को आश्रय दो, दुःखी और निराश को साहस दो मनुष्य में ईश्वर को खोजने वाले सन्त गाडगे बाबा जी स्वयं झाड़ू लेकर गांवों की सफाई तो करते ही थे साथ में समाज की अज्ञानता अवांछनीय रीति रिवाजो को मिटाने के लिए उन्होंने समाज को एक नई दिशा दी। संत गाडगे बाबा , तथागत गौतम बुद्ध , सन्त रविदास ,सन्त कबीर , जोतिबाफुले , नारायण गुरु , रामास्वामी पेरियार , गुरु घासी दास , नानक , डॉक्टर अम्बेडकर , ललाई यादव  ,जगदेव कुशवाहा के  विचारो की  परम्परा  और मानवता के प्रति समर्पित सख्शियत थे । 

गाडगे बाबा का जन्म 23 फरवरी 1876 को महाराकिष्ट्र के अमरावती जिले के शेणगांव अंजनगांव में हुआ था। 

यद्यपि बाबा अनपढ़ थे, किंतु बड़े बुद्धिवादी थे। पिता की मौत हो जाने से उन्हें बचपन से अपने नाना के यहां रहना पड़ा था। वहां उन्हें गायें चराने और खेती का काम करना पड़ा था। उन्होंने जीवन को बहुत नजदीक से देखा । आडम्बर ,पाखण्ड ,चमत्कार , छुआछूत ,  अंधविश्वासों, बाह्य आडंबरों, रूढ़ियों तथा सामाजिक कुरीतियों एवं दुर्व्यसनों से समाज को कितनी भयंकर हानि हो सकती है, इसका उन्हें भलीभांति अनुभव हुआ। इसी कारण इनका उन्होंने घोर विरोध किया।

संत गाडगे बाबा के जीवन का एकमात्र ध्येय था- लोक सेवा। दीन-दुखियों तथा उपेक्षितों की सेवा को ही  मानवता की सेवा है । धार्मिक आडंबरों का उन्होंने प्रखर विरोध किया। उनका विश्वास था कि ईश्वर न तो तीर्थस्थानों में है और न मंदिरों में व न मूर्तियों में।  मनुष्य को चाहिए कि वह मानवता को पहचाने और उसकी तन-मन-धन से सेवा करे ।

बाबा गाडगे जी कहा करते थे कि तीर्थों में पंडे, पुजारी सब भ्रष्टाचारी रहते हैं। धर्म के नाम पर होने वाली पशुबलि के भी वे विरोधी थे। यही नहीं, नशाखोरी, छुआछूत जैसी सामाजिक बुराइयों तथा मजदूरों व किसानों के शोषण के भी वे प्रबल विरोधी थे। संत , शिक्षको ,नेताओं के चरण छूने की  प्रचलित प्रथा का संत गाडगे बाबा ने विरोध किया था । बाबा साहेब अंबेडकर ने भी संबिधान सभी मे अधिनायक पूजा यानी हीरोवरशिप का विरोध किया था। गाडगे बाबा ने डॉक्टर अम्बेडकर के आंदोलन का आजीवन समर्थन किया । जब डॉक्टर  अंबेडकर का 6 दिसम्बर 1956 को परिनिरवांन हुआ तब गाडगे बाबा को बहुत ही आघात हुआ और वह बीमार पड़ गए तथा कुछ दिनों के बाद 20 दिसम्बर 1956 को गाडगे बाबा  भी परिनिर्वाण को प्राप्त हो गए ।  आज उनके जन्म दिवस पर  गाडगे बाबा के तार्किक ,मानवीय  विचारो से हमे प्रेणना लेनी चाहिए । इंसानियत के  कल्याण के लिए अपना सारा जीवन  समर्पित करने वाले महान संत गाडगे बाबा को विनम्र आदरांजलि अर्पित करते हुए सादर वन्दन !! कार्यक्रम के आयोजक मण्डल के सदस्य राम संजीवन गौतम, शिव करन कन्नौजिया, गंगा विष्णु, गोविन्द कुमार गौतम, राम शंकर गौतम, अजय कुमार, दिनेश कुमार , श्याम लाल गौतम, अरुण कुमार, विपिन कुमार रावत, अभिषेक निर्मल, राम करन निर्मल, बृजेश कुमार एवं समस्त क्षेत्र वासी।

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