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मां की ममता के बाद बाप की बापता दिखाती ये सीरीज


मशहूर कॉमेडियन महमूद साहब की एक फिल्म आई थी- कुंवारा बाप. इस फिल्म में हंसाने वाले महमूद ने खूब रुलाया था और ये उनके करियर की बेस्ट फिल्मों में से एक रही. मेरे पास मां है, ये डायलॉग हमने बहुत सुना है. मां की ममता पर बहुत फिल्में बनी हैं लेकिन पापा पर काफी कम. नेटफ्लिक्स की ये वेब सीरीज उसी कमी को पूरा करती है. ये सीरीज छोटी मोटी खामियों के बाद भी आपके दिल को छू जाएगी और आपको कुछ नया महसूस कर जाएगी.

गौरव गहलोत यानी कुणाल खेमू का तलाक हो गया है लेकिन उसको पापा बनना है. वो फैमिली पर ही डिपेंड है, पापा के ही शराब के ठेके पर बैठता है. एक दिन उसे एक बच्चा मिलता है, वो उसे गोद लेना चाहता है लेकिन नियम कायदे उसे ऐसा करने से रोकते हैं लेकिन उसको तो पापा बनना है. वो कैसे सिंगल पापा बनता है यही 6 एपिसोड की इस सीरीज में दिखाया गया है. हर एपिसोड 30 से 35 मिनट का है और आप ये सीरीज netlfix पर देख सकते है.

ये एक नए कॉन्सेप्ट वाली सीरीज है और यही इसकी खासियत है. सीरीज पूरी तरह से एंटरटेनिंग है, साफ सुथरी है, फैमिली के साथ देखी जा सकती है. पेरेंटिंग पर ये सीरीज काफी कुछ सिखा जाती है. मां के बारे में बात करने वाले सिनेमा में बाप की अहमियत समझा जाती है. हाल में एक वीडियो बड़ा वायरल हुआ था जिसमें एक पिता ट्रेन से जा रही अपनी बेटी को कुछ पैसे देते हैं. उस वीडियो ने सबके दिल को छुआ, उसकी एक वजह ये भी है कि पापा से इमोशंस हम लोग कम जता पाते हैं. ये सीरीज इस काम का बखूबी करती है.सीरीज में कुछ कमियां हैं, हरियाणवी बोलने की खराब कोशिश की गई है. गौरव को पापा क्यों बनना है, इस बात को अच्छे से समझाया जाना चाहिए था. लेकिन इन छोटी मोटी कमियों के बाद भी ये सीरीज दिल को छू जाती है और आपको कुछ अलग देती है.

कुणाल खेमू इस किरदार में कमाल तरीके से फिट हुए हैं. उन्होंने इस कैरेक्टर को जैसे पकड़ा है न वो एक कमाल का एक्टर और डायरेक्टर ही कर सकता है. जब उनका बच्चा उनसे छीना जाता है तो वो जो एक्सप्रेशन देते हैं न वो सीधे आपके दिल तक जाते हैं. नेहा धूपिया अनाथालय चलाती है और वहीं कुणाल के किरदार के आगे नियम कायदों की दिक्कतें खड़ी करती हैं. नेहा का किरदार अपनी मजबूती से सीरीज में एक जान लाता है. वो इस सीरीज की catalyst का काम करती हैं. मनोज पाहवा तो हर किरदार में कमाल कर जाते है. प्रजाकता कोली के बढ़िया काम किया है. आयशा रजा काफी इंप्रेस करती हैं. ईशा तलवार काफी अच्छी लगी हैं. दयानंद शेट्टी को मेल नैनी के किरदार में देखना चौंकाता है और उनका काम बढ़िया है. सुहैल नैय्यर ,आयशा अहमद और ध्रुव राठी ने भी अच्छा काम किया है.

इशिता मोइत्रा और नीरज उधवानी ने सीरीज को लिखा है. डायरेक्ट किया है शशांक खैतान, हितेश केवल्य और नीरज उधवानी ने. और इनका काम बढ़िया है. थोड़ा सा शुरू में इस बात को और अच्छे से दिखना चाहिए था कि एक 30 साल के तलाकशुदा आदमी को पापा क्यों बनना है. इसके अलावा सीरीज में ऐसी कोई बड़ी कमी नहीं है.

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