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प्रतापगढः प्रदेश सरकार दुग्ध आधारित उद्योगों की स्थापना हेतु उद्यमियों को दे रही है प्रोत्साहन


प्रतापगढ़। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक राज्य है, जिसका देश के सकल दुग्ध उत्पादन में लगभग 16 प्रतिशत योगदान है। प्रदेश में संगठित क्षेत्र द्वारा मार्केटेबल सरप्लस दुग्ध का लगभग 10 प्रतिशत दुग्ध ही प्रसंस्कृत किया जा रहा है, जबकि भारत का औसत दुग्ध प्रसंस्करण लगभग 17 प्रतिशत है। प्रदेश में दुग्ध प्रसंस्करण की क्षमता एवं दुग्ध के मार्केटेबल सरप्लस की मात्रा में बड़ा अन्तर विद्यमान है, जिसका दोहन करने के लिये इस क्षेत्र में नवीन उद्योगों में निवेश की प्रचुर सम्भावना है। बदलते परिवेश में जहाँ एक ओर जनमानस सन्तुलित पोषण की आवश्यकताओं के प्रति सजग है एवं लोगों की प्रयोज्य आय में वृद्धि हो रही है, वहीं दूसरी ओर दुग्ध प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्दि्धत उत्पादों के विनिर्माण हेतु नवीन तकनीक एवं कच्चामाल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, जिसके दृष्टिगत निवेशकों एवं उद्यमियों को प्रेरित करते हुए डेयरी क्षेत्र की सम्भावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए सरकार ने सही निर्णय किया है। इस प्रयोजन हेतु विद्यमान प्रसंस्करण क्षमता में वृद्धि, तकनीकी उच्चीकरण एवं सूचना तकनीक का उपयुक्त प्रयोग व क्षमता विकास करते हुए डेयरी सेक्टर के समस्त स्टेक होल्डर्स के लिए अधिकाधिक लाभ सुनिश्चित करने के लिए उत्तर प्रदेश दुग्धशाला विकास एवं दुग्ध उत्पाद प्रोत्साहन नीति 2022 प्रख्यापित की है। इस नीति से रोजगार सृजन के साथ-साथ पोषण  सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। 

उत्तर प्रदेश दुग्धशाला विकास एवं दुग्ध उत्पाद प्रोत्साहन नीति-2022 के  कई प्रमुख उद्देश्य हैं। प्रदेश सरकारी की इस नीति से प्रदेश में दुग्ध आधारित उद्योगों की स्थापना को प्रोत्साहित करना है। प्रदेश में अगले पाँच वर्षों में रू0 5000 करोड़ के पूंजी निवेश के लक्ष्य को प्राप्त किया जायेगा। दुग्ध उत्पादकों को उनके दूध का बाजार आधारित लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किये जाने का प्रावधान है। प्रदेश में दुग्ध प्रसंस्करण के स्तर को वर्तमान 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत तक ले जाना एवं दुग्ध प्रसंस्करण की स्थापित क्षमता को मार्केटेबल सरप्लस के 44 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करना है। उच्च गुणवत्ता के प्रसंस्कृत दुग्ध उत्पादों को उपभोक्ताओं को सुलभ कराना, बाजार विकास तथा अन्य राज्यों व देशों के निर्यात को बढ़ावा देना, दुग्ध उद्योग के क्षेत्र में नये रोजगार के अवसर सृजित करना एवं उपलब्ध मानवशक्ति की दक्षता एवं कौशल का विकासध्उच्चीकरण करना नवीन तकनीक एवं सूचना प्रौद्योगिकी आधारित समाधान को प्रोत्साहित करना भी प्रमुख उद्देश्य है। वर्तमान की बाजार अभिसूचना के संग्रहण एवं तकनीकी परामर्श हेतु सशक्त डाटाबेस का विकास एवं प्रबन्धन किया जाना एवं तद्हेतु ढाँचा विकसित करते हुए दुग्ध व्यवसाय के सुब्यवस्थित करना,  प्रारम्भिक दुग्ध सहकारी समितियों, दुग्ध संघों एवं प्रादेशिक कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड (पी०सी०डी०एफ०लि०) का सुधार किया जाना निवेशकों की सुविधा के लिये प्रक्रियाओं का सरलीकरण किया जाना इस नीति का मुख्य उद्देश्य है।

प्रदेश में विभित्र एफ०पी०ओ० एम0पी0सी0 प्रदेश की सहकारी संस्थाओं एवं निजी क्षेत्र के उद्यमियों को, जैसा कि शासन द्वारा निर्धारित किया गया है, उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में लाभान्वित किया जाएगा। इस नीति के तहत नवीन दुग्ध प्रसंस्करण एवं दुग्ध उत्पाद विनिर्माण दुग्धशाला इकाई की स्थापना की जा रही है। विद्यमान दुग्ध प्रसंस्करण एवं दुग्ध उत्पाद विनिर्माण दुग्धशाला इकाई की क्षमता का विस्तार (विद्यमान क्षमता में न्यूनतम 25 प्रतिशत की वृद्धि) किया जायेगा। गौवंशीय एवं महिषवंशीय पशुओं हेतु नवीन पशु आहार एवं पशु पोषण उत्पाद निर्माणशाला इकाई की स्थापना अथवा विद्यमान पशु आहार एवं पशु पोषण उत्पाद निर्माणशाला इकाई की क्षमता विस्तार (विद्यमान क्षमता में न्यूनतम 25 प्रतिशत की वृद्धि) किया जायेगा। सूक्ष्म एवं लघु उद्यम क्षेत्र के अन्तर्गत मूल्य संवर्दि्धत दुग्ध उत्पाद जैसे चीज, आइसक्रीम इत्यादि का विनिर्माण करने वाली नवीन इकाई की स्थापना तथा नवीन डेयरी तकनीक एवं सूचना प्रौद्योगिकी यथा ट्रेसेबिलिटी के उपकरणों एवं सहवर्ती साफ्टवेयर जैसे स्काडा सिस्टम की स्थापना की जा रही है। कोल्ड चेन की स्थापना हेतु दुग्ध अवशीतन केन्द्र के उपकरण, बल्क मिल्क कूलर, रेफ्रिजरेटेड वैनध्कूलिंग वैनध्रोड मिल्क टैंकर, आइसक्रीम ट्रॉली इत्यादि का क्रय कराते हुए प्रदेश सरकार द्वारा डेरी उत्पाद हेतु निवेशकों दुग्ध उद्योगों को समस्त मूलभूत सुविधायें उपलब्ध कराई जा रही है।

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