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बाराबंकी: जाम से निजात हवा-हवाई, अतिक्रमण में उलझा शहर! जाम बना दिनचर्या, मरीज-छात्र-आमजन सबसे ज्यादा परेशान


बाराबंकी । जिले के डीएम द्वारा करीब एक माह पूर्व सभी चैराहों को अतिक्रमण मुक्त कराने के दिए गए आदेश जमीन पर दम तोड़ते नजर आ रहे हैं। नगर पालिका का अतिक्रमण विरोधी अभियान कागजों तक सिमट कर रह गया है, जबकि हकीकत यह है कि शहर की सड़कें पहले से ज्यादा संकरी और जाम पहले से ज्यादा भयावह हो गया है। आदेशों के बाद भी अवैध कब्जेदार बेखौफ हैं और आमजन जाम में पिसने को मजबूर।

शहर में पटेल तिराहे से नाका पैसार तक लगने वाला रोजाना जाम अब लोगों की दिनचर्या बन चुका है। हालात यह हैं कि एक से डेढ़ घंटे तक वाहन रेंगते रहते हैं। स्कूलों की छुट्टी के समय स्थिति और भयावह हो जाती है। बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं धूप-धूल में फंसे रहते हैं, लेकिन जिम्मेदार विभाग आंख मूंदे बैठे हैं।

जाम से सबसे ज्यादा परेशानी मरीजों को उठानी पड़ रही है। जिला अस्पताल और महिला अस्पताल के पास विजय नगर मोड़ व सतरिख नाका पर अक्सर एंबुलेंस फंस जाती हैं। मजबूरी में कई एंबुलेंस चालकों को सतरिख नाका से हैदरगढ़ मार्ग होते हुए अयोध्या हाईवे से लखनऊ जाना पड़ता है, जिससे कीमती समय बर्बाद होता है और मरीजों की जान पर बन आती है।

पैसार नाका से लेकर पटेल तिराहे तक दबंगों ने सड़क पर कब्जा जमा रखा है। दुकानों के आगे ठेले, काउंटर और अस्थायी दुकानें लगवा कर मोटी कमाई की जा रही है, जबकि जनता जाम में तड़प रही है। आजाद नगर मोड़, धनोखर, लइया मंडी, नाका सतरिख और कई मोहल्लों के मोड़ों पर अवैध कब्जों ने रास्तों को पूरी तरह जकड़ लिया है। कहीं लोहे के काउंटर रखे गए हैं तो कहीं स्थायी निर्माण कर सड़क को ही दुकान में बदल दिया गया है।

जाम से निपटने के लिए पटेल तिराहे से रामनगर तिराहे तक यातायात कर्मियों की तैनाती जरूर की गई है, लेकिन अतिक्रमण के कारण मार्ग इतना संकरा हो चुका है कि ट्रैफिक संभालना उनके बस से बाहर होता जा रहा है। उधर जमुरिया नाले पर पुल निर्माण कार्य भी कछुआ गति से चल रहा है, जिससे परेशानी और बढ़ गई है।

शहरवासियों का कहना है कि यदि प्रशासन वास्तव में जनहित में गंभीर है तो अवैध कब्जेदारों पर सख्त कार्रवाई के साथ-साथ जिम्मेदार अधिकारियों की भी जवाबदेही तय की जाए। जब तक गलत कब्जों पर कठोर कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक न तो जाम से राहत मिलेगी और न ही डीएम के आदेशों का कोई अर्थ रह जाएगा।

अब देखना यह है कि क्या जिले का प्रशासन इस जाम के जाल से शहर को बाहर निकाल पाएगा या आमजन यूं ही रोजाना सड़कों पर जूझता रहेगा।

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