फतेहपुर/बाराबंकी । माइनरों व राजबहों की सफाई के नाम पर हर साल खर्च होने वाले करोड़ों रुपये इस बार भी किसानों को राहत देने के बजाय अधिकारियों और ठेकेदारों की जेबें भरते नजर आ रहे हैं। तहसील क्षेत्र में नहरों की सफाई की स्थिति इतनी बदतर है कि किसानों को हेड से टेल तक पानी पहुंचाने का सरकारी दावा खोखला साबित हो रहा है।
सरकार की ओर से प्रत्येक वर्ष माइनरों की सिल्ट सफाई कराई जाती है, ताकि नहर का पानी दूर-दराज के टेल तक आसानी से पहुंच सके। लेकिन शारदा सहायक डबल नहर से निकली कई माइनरों पर चल रहे सफाई कार्य में ठेकेदार सिर्फ खानापूर्ति करते दिख रहे हैं। जिन माइनरों पर काम शुरू हुआ है, वहां मानकों को दरकिनार कर केवल नाली बनाकर सफाई का दिखावा किया जा रहा है।
किसानों का आरोप है कि माइनर के अंदर जमी मिट्टी, सिल्ट व बालू को निकालने के बजाय उसे वहीं किनारे पर डाल दिया जा रहा है। पानी आने पर यही सिल्ट वापस नहर में भर जाएगी और पटरी भी कमजोर हो जाएगी, जिससे माइनर कटने का खतरा बना रहेगा। कई माइनरों में तो अंदर उगी घनी व बड़ी घास तक नहीं हटाई गई है, सिर्फ ऊपर-ऊपर की सफाई कर कागजी काम पूरा किया जा रहा है।
अशोहना माइनर के नाम से जानी जाने वाली माइनर के जरिए असोहना, इब्राहिमपुर, पहापटपुर, ररिया, मझगांव शरीफ सहित सैकड़ों गांवों को पानी मिलना है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि सफाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता निभाई जा रही है। काम में व्याप्त भ्रष्टाचार किसानों को साफ-साफ नजर आ रहा है।
किसान मनोज कुमार, राम सुमिरन, राममनुज, छोटे लाल यादव, नंदलाल यादव, मेवालाल आदि ने नहर सफाई पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि माइनरों में सिल्ट अब भी जमी हुई है, गंदगी साफ नहीं की गई है। उनका आरोप है कि सिंचाई विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी सिर्फ नहर संचालन की तिथि का इंतजार कर रहे हैं। नहर चलने पर पानी के बहाव से थोड़ी बहुत सफाई अपने आप हो जाएगी और पूरा बजट कागजों में खर्च दिखाकर अफसरों की जेब में चला जाएगा।
किसानों ने मांग की है कि राजस्व और विकास विभाग के अफसरों से नहर सफाई का भौतिक सत्यापन कराया जाए, और रिपोर्ट के आधार पर ही आगे भुगतान व कार्रवाई की जाए, ताकि माइनर और राजबाहों की वास्तविक सफाई सुनिश्चित हो सके और समय पर सिंचाई के लिए पानी किसानों के खेतों तक पहुंच सके।
