लखनऊ: थारू जनजाति के तीन पुरुषों ने कराई नसबंदी, दिया परिवार नियोजन का संदेश! पलिया ब्लॉक में एक साथ हुईं तीन पुरुष नसबंदी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने टीम को दी बधाई
December 02, 2025
लखनऊ/लखीमपुर खीरी। थारू जनजाति के लोगों में भी परिवार नियोजन को लेकर जागरूकता बढ़ रही है। संयमित परिवार के साथ वह देश के विकास में योगदान को आगे बढ़ रहे हैं। इसकी अनूठी मिसाल जनपद के पलिया ब्लाक में देखने को मिली, जहां तीन थारू जनजाति पुरुषों ने नसबंदी कराई और यह संदेश दिया कि सीमित परिवार देश की प्रगति में योगदान देता है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संतोष गुप्ता ने बताया कि ब्लॉक पलिया के अंतर्गत सब सेंटर निझोटा में एएनएम रामपति राणा की सक्रिय पहल और प्रेरणा से एक साथ तीन थारू जनजाति के पुरुषों की नसबंदी सफलतापूर्वक कराई गई। इस प्रक्रिया को समयबद्ध और सुचारू रूप से कराने में ब्लॉक की काउंसलर विनीता, बीपीएम पंकज एवं पूरी पलिया टीम का महत्वपूर्ण सहयोग रहा। अधीक्षक डॉ भरत सिंह ने बताया कि सीएमओ के निर्देशन में आयोजित इस कार्रवाई में विशेष योगदान जिला पुरुष चिकित्सालय के सर्जन डॉ. सतीश वर्मा का रहा, जिन्होंने 3 पुरुष नसबंदी के साथ-साथ 8 सीजेरियन महिला नसबंदी एवं 28 सामान्य महिला नसबंदी की सेवाएं प्रदान कीं।मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संतोष गुप्ता ने इस उल्लेखनीय उपलब्धि पर पलिया ब्लॉक की संपूर्ण स्वास्थ्य टीम को बधाई देते हुए इसे परिवार नियोजन अभियान को मजबूत करने वाला प्रभावी कदम बताया। उन्होंने पुरुष नसबंदी के लाभ बताते हुए कहा कि पुरुष नसबंदी बिना स्केलपेल वाली पुरुष नसबंदीएक सुरक्षित, सरल और स्थायी परिवार नियोजन विधि है, जिसके कई लाभ हैं। सर्जरी बेहद आसान और शीघ्ररू बिना चीरा और बिना टांके की प्रक्रिया, केवल 10दृ15 मिनट में पूरी हो जाती है। इसमें कम दर्द, शीघ्र सामान्य दिनचयार्रू मरीज 1दृ2 दिन में सामान्य कार्य करने लगता है। बेहद सुरक्षित है, किसी प्रकार के गंभीर दुष्प्रभाव की संभावना अत्यंत कम है।परिवार के लिए विश्वसनीय विकल्प, यह महिलाओं पर नसबंदी का बोझ कम करता है और दंपति को संतुलित निर्णय लेने में मदद करता है।पुरुष की यौन क्षमता, ताकत या हार्मोन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।, शरीर की सामान्य क्रियाओं और स्वास्थ्य में कोई परिवर्तन नहीं आता, प्रोस्टेट और प्रजनन तंत्र से जुड़े कुछ जोखिमों में भविष्य में कमी के संकेत मिलते हैं, पुरुष नसबंदी सुरक्षित, सरल और प्रभावी होने के बावजूद जागरूकता की कमी के कारण कम कराई जाती है, जबकि यह महिला नसबंदी की तुलना में अधिक आसान और जोखिमरहित मानी जाती है। पलिया ब्लॉक की यह पहल जनपद में एक सकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत करती है।
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