पीलीभीत। सरकारी दावों, योजनाओं और किसान हितैषी भाषणों की हकीकत उस समय बेनकाब हो गई, जब धान क्रय केंद्र पर एक वृद्ध, विधवा व दिव्यांग महिला किसान अपने धान की तौल न होने से टूट चुकी नजर आई। लगभग 15 से 20 दिनों से मंडी परिसर में खड़ी ट्रॉली के बावजूद महिला का धान नहीं खरीदा गया, जिससे मजबूर होकर वह आत्महत्या जैसे खौफनाक कदम की चेतावनी देने को विवश हो गई। पूरनपुर विकासखंड के प्रसादपुर ग्राम पंचायत क्षेत्र की निवासी पीड़ित महिला किसान ने बताया कि वह रोजाना किराया खर्च कर मंडी पहुंचती है, लेकिन धान क्रय केंद्र प्रभारी महेश प्रसाद द्वारा लगातार टालमटोल की जा रही है। महिला का आरोप है कि न तो उसकी बारी लगाई जा रही है और न ही उसकी दिव्यांगता व विधवा होने की स्थिति को कोई तवज्जो दी जा रही है।स्थिति उस समय और भी गंभीर हो गई, जब महिला अपने बैग से जहर की शीशी और बिजली का तार काटने की कैंची निकालने लगी। यह दृश्य देख मंडी परिसर में अफरा-तफरी मच गई। महिला रोते हुए कहती रहीष्अगर आज मेरा धान नहीं तौला गया, तो मैं यहीं अपनी जान दे दूंगी। मेरे पास अब जीने का कोई सहारा नहीं बचा है।
महिला किसान की आंखों से बहते आंसुओं का सैलाब किसी भी संवेदनशील इंसान को झकझोर सकता था, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि शासन-प्रशासन और क्रय केंद्र के जिम्मेदारों को ये आंसू भी दिखाई नहीं दिए। महिला लगातार अपनी बदहाली और मजबूरी की कहानी सुनाती रही, मगर अधिकारी मौन साधे रहे।यह घटना न सिर्फ धान खरीद व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी सोचने पर मजबूर करती है कि क्या सरकारी तंत्र की संवेदनशीलता इतनी मर चुकी है कि एक मजबूर महिला को आत्महत्या की चेतावनी देनी पड़े? जहां सरकारें महिला सशक्तिकरण और किसान कल्याण की बात करती हैं, वहीं जमीनी हकीकत में एक बेसहारा महिला किसान न्याय के लिए दर-दर भटकने को मजबूर है।स्थानीय किसानों और मौजूद लोगों ने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप कर महिला का धान खरीदे जाने और क्रय केंद्र प्रभारी के रवैये की जांच की मांग की है।
