ऐसे मुख्यालय पर कई विद्यालय है जिसमे गुरु जी मैडम जी जाते ही नही है कही जाते भी है तो मोबाइल या मीटिंग का हवाला देते है।
सनभद्र। जिले की इंग्लिश मीडियम शिक्षा व्यवस्था की सच्चाई उस वक्त सामने आ गई, जब जिलाधिकारी बी.एन. सिंह ने शनिवार की सुबह पटवध स्थित इंग्लिश मीडियम प्राथमिक विद्यालय का आकस्मिक निरीक्षण किया। जिलाधिकारी जब कक्षा में पहुँचे और बच्चों से सरल अंग्रेज़ी प्रश्न पूछे, तो बच्चे “A for Apple” से आगे नहीं बढ़ पाए।किसी ने B को D कहा तो कोई Cat तक नहीं बोल सका। यह नज़ारा देखकर डीएम का चेहरा कठोर हो गया और पूरे शिक्षण तंत्र पर सवाल उठ खड़े हुए।डीएम ने बच्चों के बौद्धिक स्तर को परखते हुए शिक्षकों से पूछा कि आखिर पढ़ाई का हाल ऐसा क्यों है। इस पर शिक्षकों ने सफाई दी कि कोरोना के बाद बच्चे कमजोर हो गए हैं। जिलाधिकारी ने इस तर्क को गैर-जिम्मेदाराना बताते हुए फटकार लगाई और कहा बच्चों की कमजोरी नहीं, व्यवस्था की लापरवाही है जो शिक्षा को कमजोर बना रही है।निरीक्षण के दौरान एक शिक्षक बिना सूचना अनुपस्थित मिला, जिस पर डीएम ने तत्काल नोटिस जारी करने का आदेश दिया। मिड-डे-मील की रसोई में स्वच्छता और संसाधनों की कमी देख उन्होंने सख्त नाराज़गी जताई और तत्काल सुधार के निर्देश दिए।जिलाधिकारी ने विद्यालय प्रिंसिपल को 15 दिनों के भीतर शिक्षण स्तर में सुधार लाने की चेतावनी दी। उन्होंने साफ कहा सिर्फ इंग्लिश मीडियम का बोर्ड लगा देने से स्कूल इंग्लिश मीडियम नहीं बन जाता। असली मीडियम तो शिक्षा की गुणवत्ता होती है। डीएम बी.एन. सिंह ने यह भी घोषणा की कि अब जनपद के सभी सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूलों की पढ़ाई और शिक्षण गुणवत्ता की विशेष जांच टीम गठित की जाएगी। डीएम शिक्षा व्यवस्था को देखकर हुए नाराज सहायक अध्यापक को निर्देश बच्चो को दे ध्यान बेसिक शिक्षा विभाग अधिकारी भी ये सब से रहते है अनभिज्ञ। आखिर कार बेज्जती की बात है जब गुरु जी को ज्ञान नही है तो बच्चो को क्या शिक्षा देगे।ऐसे गई विद्यालय मिल जायेंगे कभी डीएम साहब पेटराही विद्यालय का भी निरीक्षण करे, देख कर दंग रह जाएंगे।
