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पीलीभीतः देवउठनी एकादशी पर भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का हुआ भव्य विवाह! श्री दैवी संपद संकीर्तन मण्डल पीलीभीत के तत्वावधान में निकली भव्य शोभायात्रा, जयघोषों से गूंजा नगर


पीलीभीत। धार्मिक आस्था, भक्ति और उल्लास से सराबोर माहौल के बीच देवउठनी एकादशी के पावन अवसर पर भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का दिव्य विवाह समारोह बड़ी धूमधाम के साथ संपन्न हुआ। इस पवित्र आयोजन का संचालन श्री दैवी संपद संकीर्तन मण्डल, पीलीभीत के तत्वावधान में किया गया। नगरवासियों की भारी भागीदारी ने इस आयोजन को भव्य और ऐतिहासिक बना दिया।

कार्यक्रम की शुरुआत भगवान शालिग्राम की बारात से हुई, जो आकर्षक झांकियों, भजन-कीर्तन, ढोल-नगाड़ों और आतिशबाजी के साथ नगर के प्रमुख मार्गों से निकाली गई। बारात में श्रद्धालु, महिलाएं, बच्चे और युवा पारंपरिक परिधान में सजे-धजे शामिल हुए।

शहर की गलियां जय श्री शालिग्राम, जय तुलसी माता के गगनभेदी नारों से गूंज उठीं। श्रद्धालुओं ने पुष्पवृष्टि कर बारात का स्वागत किया। बारात अग्रवाल सभा भवन पहुंचने पर तुलसी माता के परिवारजनों द्वारा पारंपरिक रीति से बारातियों का स्वागत किया गया। यहां वैदिक मंत्रोच्चार और शास्त्रोक्त विधि से भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह संस्कार संपन्न कराया गया। विवाह के दौरान उपस्थित भक्तजन मंत्रोच्चारण और भक्ति गीतों के साथ भावविभोर हो उठे।

सजावट, दीप प्रज्ज्वलन और पुष्प अलंकरण से सुसज्जित विवाह स्थल ने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक रंग में रंग दिया। विवाह उपरांत आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बच्चों और युवाओं के समूहों ने मनमोहक भक्ति नृत्य प्रस्तुत किए।

सुंदर झांकियों, पारंपरिक परिधानों और आकर्षक मंच सज्जा ने समारोह में चार चांद लगा दिए।

भक्ति गीतों पर भक्तों ने झूमकर नृत्य किया और पूरे वातावरण में भक्ति, आनंद और आस्था का अद्भुत संगम दिखाई दिया। मण्डल के मंत्री महेश चंद्र अग्रवाल ने बताया कि देवउठनी एकादशी को देवप्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु अपनी योगनिद्रा से जागते हैं और सृष्टि के संचालन का कार्य पुनः आरंभ करते हैं।

चार माह की विष्णु-निद्रा अवधि में भगवान शिव, गणेशजी, पितृदेव और देवी दुर्गा संसार के भरण-पोषण का दायित्व निभाते हैं।

इसी दिन से सभी शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत मानी जाती है। इसी अवसर पर शालिग्राम-तुलसी विवाह का आयोजन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ फलदायी माना गया है। श्री दैवी संपद संकीर्तन मण्डल ने कार्तिक मास की शुरुआत से ही तुलसी आरती और भक्ति कार्यक्रमों की श्रृंखला चलाई थी, जिसका समापन इस भव्य विवाह के साथ हुआ।

नगर के श्रद्धालुओं में इस आयोजन को लेकर विशेष उत्साह देखा गया।

इस आयोजन में मण्डल के मंत्री महेश चंद्र अग्रवाल, शिवा यादव, डा. एस. के. अग्रवाल, डा. के. एन. तिवारी, मुरली अग्रवाल (सर्राफ), बाई के अग्रवाल, राजीव महरोत्रा, केतन अग्रवाल (सीए), कमल यादव, रवि श्रीवास्तव, अतुल गुप्ता, अनिल दुलवानी, वीना मिश्रा, मधुर अग्रवाल, पिंकी किन्नर, धीरज सहित अनेक भक्तों व नगर के प्रतिष्ठित नागरिकों ने सहभागिता की।

सभी बाराती पारंपरिक परिधानों में सजे हुए दिखाई दिए, जिससे कार्यक्रम की शोभा और बढ़ गई।

अग्रवाल सभा भवन में दीप सज्जा, पुष्प सजावट और भजन-कीर्तन ने वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया। भक्तों ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ भगवान शालिग्राम और माता तुलसी के चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित की। कार्यक्रम के समापन पर प्रसाद वितरण किया गया। देवउठनी एकादशी का यह भव्य आयोजन श्री दैवी संपद संकीर्तन मण्डल की ओर से आस्था, संस्कृति और परंपरा के संरक्षण का एक सुंदर उदाहरण बन गया, जिसने पीलीभीत नगर को भक्ति और आनंद के रस में सराबोर कर दिया।

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