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उल जलूल बयानों से खुद को बचाएं मुस्लिम-मुफ्ती बरेलवी


ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के चीफ मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के बयान पर आपत्ति जताई है। बरेलवी ने ‘‘जुल्म हुआ तो जिहाद होगा’’ वाले बयान को उकसावे वाला बताया। बरेलवी ने कहा कि उनका बयान समाज को बांटने वाला और मुस्लिमों को भड़काने वाला है। सुप्रीम कोर्ट ही नहीं बल्कि सभी कोर्ट पर मुस्लिमों को विश्वास है। संसद भी जनता के हितों के लिए कार्य करती है। हमें विश्वास है कि हर सरकार संविधान के तहत ही जन कल्याण की योजनाएं बनाती है। जानें मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने मौलाना महमूद मदनी को लेकर क्या कहा।

दरअसल, भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में मौलाना महमूद मदनी ने बीते शनिवार को आरोप लगाया था कि बाबरी मस्जिद निर्णय और ऐसे कई दूसरे फैसलों के बाद ये चर्चा तेज है कि कोर्ट, सरकारों के प्रेशर में काम कर रहे हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट अपना फर्ज नहीं निभाता है तो वह सुप्रीम कहलाने का हकदार नहीं है।

मौलाना मदनी ने ये भी कहा था कि वक्फ हमारे पूर्वजों की विरासत है। हम इसको ऐसे जाते नहीं देख सकते। जमीयत ने जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी में इसकी खिलाफत की थी। हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि सरकारों को हमारे धार्मिक कार्यों में हस्तक्षेप नहीं देना चाहिए। हम लड़ेंगे और आखिरी सांस तक लड़ेंगे।

फिर मदनी के इस बयान पर नाराजगी जताते हुए मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने बयान दिया, ‘‘भारत के करोड़ों मुस्लिम सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णयों का सम्मान करते हैं।’’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘मौलाना मदनी भारत के मुसलमानों को उकसा रहे हैं। इस समय भारत में अमन और शांति है, वे इस अमन के वातावरण को खराब करना चाहते हैं।’’

मुफ्ती बरेलवी ने कहा कि मैं मौलाना मदनी के स्टेटमेंट की कड़े शब्दों में निंदा करता हूं। मैं देश के मुसलमानों से अपील करता हूं कि इस प्रकार के उल जलूल बयानों से अपने आप को बचाएं। विवादित और समाज को तोड़ने वाले बयानों पर गौर ना करें।

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