लखनऊ। बीकेटी स्थित एस आर ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूशन में सोमवार को ‘तिब्बतन अवेयरनेस टॉक दृ पर्यावरण और सुरक्षा’ विषय पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत गणपति वंदना से हुई, जिसके बाद बच्चों द्वारा प्रस्तुत तिब्बती नृत्य देखकर तिब्बत के राष्ट्रपति पेनपा त्सेरिंग भावुक व मंत्रमुग्ध हो गए। उन्होंने कहा कि लखनऊ की नवाबी संस्कृति और भाषा उन्हें बेहद खास लगी और वे इसे सीखना चाहते हैं।इस अवसर पर एसआरजीआई के चेयरमैन एवं एमएलसी पवन सिंह चैहान, भारत-तिब्बत संवाद के ऑल इंडिया कोऑर्डिनेटर डॉ. संजय मिश्रा, वाईस चेयरमैन पीयूष सिंह चैहान वाईस चेयरपर्सन सुष्मिता सिंह सहित अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।छात्रों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति पेनपा त्सेरिंग ने कहा कि पर्यावरण और सुरक्षा 21वीं सदी का सबसे बड़ा वैश्विक मुद्दा बन चुका है। लखनऊ सहित पूरे उत्तर प्रदेश में पर्यावरणीय चुनौतियाँकृजैसे जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, वन कटाई और जल संकटकृसीधे हमारी सुरक्षा और जीवन को प्रभावित कर रही हैं।तिब्बत के आधुनिक इतिहास का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि 1950 में चीनी कब्जे की परिस्थिति में परमपावन दलाई लामा ने 17 नवंबर को नेतृत्व ग्रहण किया, जिसकी इस वर्ष 75वीं वर्षगांठ है। उन्होंने 17 सूत्रीय समझौते, चीन के साथ शांतिपूर्ण वार्ता के प्रयासों तथा बाद में दलाई लामा और हजारों तिब्बतियों के भारत में आगमन का उल्लेख किया। उन्होंने तिब्बती लोकतांत्रिक संस्थाओं के गठन तथा भारत की जनता और सरकार द्वारा दिए गए निरंतर सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।संजय शुक्ला ने राष्ट्रपति पेनपा त्सेरिंग के आगमन के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि तिब्बत की आजादी सिर्फ तिब्बतियों के लिए ही नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा के लिए भी जरूरी है।उन्होंने कहा किकृ चीन लगातार भारत के कई शहरों पर दावा कर रहा है, जो भविष्य में खतरा बन सकता है।
क्योंकि 140 करोड़ भारतीयों का पैसा अप्रत्यक्ष रूप से चीन के माध्यम से पाकिस्तान पहुँचकर आतंकवाद को बढ़ावा दे सकता है।
समारोह के अंत में वाईस चेयरपर्सन सुष्मिता सिंह ने राष्ट्रपति पेनपा त्सेरिंग का धन्यवाद करते हुए कहा कि एसआरजीआई परिवार की ओर से हम उनका हार्दिक स्वागत करते हैं और उन्हें दोबारा कैंपस आने के लिए आमंत्रित करते हैं।
