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ब्रह्माकुमारीज के कार्यक्रम में बोले पीएम मोदी ! पूरी दुनिया में जब कहीं भी संकट आता है तो भारत फर्स्ट रिस्पांडर होता है


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को ब्रह्माकुमारीज संस्थान के नवा रायपुर में नवनिर्मित शांति शिखर एकेडमी फॉर ए पीसफुल वर्ल्ड रिट्रीट सेंटर को समाज के नाम समर्पित किया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आपका पहला संबोधन ही ओम शांति है. ओम अर्थात् ब्रह्म और संपूर्ण ब्रह्मांड. शांति अर्थात् शांति ही कामना है इसलिए ब्रह्माकुमारी के विचारों का हर किसी के अंतर्मन पर इतना प्रभाव पड़ता है. हमारा अध्यात्म हमें सिर्फ शांति का पाठ ही नहीं सिखाता, वह हमें हर कदम पर शांति की राह भी दिखाता है.

पीएम मोदी ने कहा कि विश्व शांति की अवधारणा भारत के मौलिक विचारों का हिस्सा है. मैंने हमेशा अनुभव किया है, ब्रह्माकुमारी में शब्द कम, सेवा ज्यादा है. मैं शांति शिखर की संकल्पना में उनके (दादी जानकी) विचारों को साकार होते हुए देख रहा हूं. राज्य के विकास से देश का विकास, इसी मंत्र पर चलते हुए हम भारत को विकसित बनाने के अभियान में जुटे हैं. विकसित भारत की इस अहम यात्रा में ब्रह्माकुमारीज़ जैसी संस्था की अहम भूमिका है. मैंने इस आध्यात्मिक आंदोलन को वटवृक्ष की तरह विशाल होते देखा है.

पीएम मोदी ने कहा कि हमारे यहां कहा जाता है आचार्य परमोधर्म:, आचार्य परमोतपं, आचार्य परमज्ञानमं, आचार्य किं साध्यते अर्थात आचरण ही सबसे बड़ा धर्म है, आचरण ही सबसे बड़ा तप है और आचरण ही सबसे बड़ा ज्ञान है. आचरण से क्या कुछ सिद्ध नहीं हो सकता है. बदलाव तब होता है, जब अपने कथन और करनी में उतारा जाए और यही ब्रह्माकुमारी संस्था की आध्यात्मिक शक्ति का स्त्रोत है, जहां हर बहन पहले कठोर तप और साधना में खुद को तपाती है. समाज को सशक्त करने में ब्रह्माकुमारी जैसे संस्थाओं की अहम भूमिका है.

ब्रह्माकुमारीज़ से जुड़े अपने अनुभव साझा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मेरा तो सौभाग्य रहा है कि मैं बीते कई दशकों से आप सबके साथ जुड़ा हुआ हूं. मैं यहां अतिथि नहीं हूं, मैं आपका ही हूं. इस संस्थान से मेरा अपनापन है खासकर जानकी दीदी का स्नेह, राजयोगिनी दादी हृदयमोहिनी जी का मार्गदर्शन यह मेरी जीवन की विशेष स्मृतियों का हिस्सा है. मैं बहुत भाग्यवान रहा हूं कि वर्ष 2011 में अहमदाबाद में फ्यूचर ऑफ पावर कार्यक्रम हो, वर्ष 2012 में संस्था की स्थापना के 75 वर्ष हो या वर्ष 2013 में प्रयागराज के कार्यक्रम हो. यह तो बहुत रुटीन सा हो गया था. दिल्ली आने के बाद भी आजादी के अमृत महोत्सव से जुड़ा अभियान हो, स्वच्छ भारत अभियान या जल जन अभियान इन सबसे जुड़ने का मौका हो, मैं जब भी आपके बीच आया हूं आपके प्रयासों को बहुत गंभीरता से देखा है.

पीएम मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद दुनिया में मैं जहां-जहां गया, एक भी देश ऐसा नहीं होगा जहां एयरपोर्ट हो या कार्यक्रम का स्थान हो मुझे ब्रह्माकुमारीज़ के लोग नहीं मिले हों, उनकी शुभकामनाएं मेरे साथ न रहीं हों. इसमें मुझे अपनेपन का एहसास भी होता है और आपकी शक्ति का भी अंदाजा लगता है. जिन सपनों कोे लेकर आप चले हैं वह सपने नहीं है, वह संकल्प होते हैं और आपके संकल्प पूरे हों.

पीएम मोदी ने कहा कि आत्म संयम से आत्म ज्ञान, आत्म ज्ञान से आत्म साक्षात्कार और आत्म साक्षात्कार से आत्म शांति, इसी पथ पर चलते हुए शांति शिखर एकेडमी में साधक वैश्विक शांति का माध्यम बनेंगे. ग्लोबल पीस के मिशन में जितनी अहमियत विचारों की होती है, उतनी ही बड़ी भूमिका व्यावहारिक नीतियों और प्रयासों की भी होती है. भारत उस दिशा में आज अपनी भूमिका पूरी ईमानदारी के साथ निभाने का प्रयास कर रहा है. पूरी दुनिया में कहीं भी संकट आता है, कोई आपदा आती है तो भारत एक भरोसेमंद साथी के तौर पर मदद के लिए आगे आता है, तुरंत पहुंचता है. भारत फर्स्ट रिस्पांडर होता है. विश्व का कल्याण हो, प्राणियों में सद्भाव हो ऐसी उदार सोच के साथ हमारे यहां हर धार्मिक अनुष्ठान होता है. विश्व कल्याण की भावना का आस्था से सहज संगम हमारी सभ्यता, संस्कृति का सहज स्वभाव है. ये भारत की आध्यात्मिक चेतना का प्रकट रूप है क्योंकि हम वो हैं जो जीव में शिव को देखते हैं. हम स्वयं का विस्तार सर्वस्व तक करते रहते हैं.

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