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जजों के सामान्य कमेंट को भी सोशल मीडिया पर गलत तरीके से पेश कर दिया जाता है-चीफ जस्टिस गवई


चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बी.आर. गवई ने मंगलवार (7 अक्टूबर) को अदालती कार्यवाही के दौरान जजों के सामान्य कमेंट को सोशल मीडिया पर गलत तरीके से प्रस्तुत किए जाने को लेकर चिंता जाहिर की. चीफ जस्टिस एक वकील द्वारा उन पर जूता उछालने की कोशिश किए जाने की घटना के एक दिन बाद अदालत में एक सुनवाई के दौरान बोल रहे थे.

आरोपी वकील ने दावा किया था कि वह खजुराहो में विष्णु की मूर्ति को फिर से स्थापित करने से संबंधित एक याचिका की सुनवाई के दौरान पिछले महीने CJI की टिप्पणी से नाखुश था. इस घटना की काफी निंदा हुई थी. न्यायमूर्ति गवई ने मंगलवार को हल्के अंदाज में एक किस्सा शेयर किया. उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने साथी न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन को पिछली सुनवाई के दौरान कुछ टिप्पणियां सार्वजनिक रूप से करने से रोका था, जिससे उनकी बातों को ऑनलाइन गलत तरीके से पेश न कर दिया जाए.

चीफ जस्टिस गवई ने कहा, ''मेरे विद्वान भाई (न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन) को कुछ टिप्पणी करनी थी, मैंने उन्हें धीरज मोर के मामले की सुनवाई के दौरान ऐसा करने से रोक दिया. वरना, हमें नहीं मालूम कि सोशल मीडिया पर क्या-क्या रिपोर्ट आ जाती. मैंने अपने विद्वान भाई से अनुरोध किया कि वह इसे केवल मेरे कानों तक ही सीमित रखें.''

न्यायमूर्ति गवई और न्यायमूर्ति चंद्रन की पीठ अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ द्वारा न्यायिक अधिकारियों की सेवा शर्तों, वेतनमान और करियर प्रोगेर्स से संबंधित मुद्दों पर दायर एक याचिका की सुनवाई कर रही थी. इस याचिका में देशभर के निचले स्तर के न्यायिक अधिकारियों के करियर में ठहराव से संबंधित मुद्दों को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेजा गया था.

चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ ने मध्य प्रदेश में यूनेस्को विश्व धरोहर खजुराहो मंदिर परिसर के अंतर्गत आने वाले जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की सात फुट ऊंची मूर्ति के पुनर्निर्माण और पुनर्स्थापना के निर्देश देने संबंधी याचिका खारिज कर दी थी.

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